अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हल्ला मचाने वाले लोग किस हद तक हिन्दू धर्म से घृणा करते हैं, ये पिछले कुछ दिनों से हम देख रहे हैं. ज्ञानवापी में शिवलिंग के प्रकट होते ही कुछ लोगों ने न सिर्फ महादेव का अपमान किया बल्कि घटिया तरीके से हमारे आराध्य का मजाक उड़ाया .

शायद यही कथित गंगा जमुना तहजीब है, जिसमें हिंदुओं को आप कुछ भी कह सकते हैं, उनकी आस्था पर हमला कर सकते हैं . क्या उनकी आस्था का कोई मोल नहीं है ? लेकिन एक कांटे-छाटें वीडियो से आप इतने आहत हो जाते हैं कि महिला बीजेपी प्रवक्ता के लिए मौत के फतवे तक जारी कर देते हैं।

इसी बीच एक टीवी चैनल के डिबेट में राष्ट्रीय बुनकर कमिटी के अध्यक्ष सरफराज अहमद ने Live डिबेट में कहा कि “अगर हमें मालूम होता कि वहां पर शिवलिंग है तो हम उसे तोड़ देते और वहां से हटा देते!” इस दौरान हिंदुओं के आराध्य के बारे में इतनी बड़ी बात बोलते हुए भी उसके चेहरे पर किसी तरह का कोई डर कोई पछतावा नहीं था. कि किस तरह से वो हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचा रहा है।

साभार-ट्वीटर

सवाल ये कि जो लोग नुपुर शर्मा पर आंखे लाल कर सोशल मीडिया के जरिये उनके खिलाफ और महादेव के खिलाफ अपमानजनक बातें कर रहे हैं , वे खुद हिंदु धर्म को कितना और किस हद तक अपमानित कर चुके हैं, क्या उन्हें इसका जरा भी अंदाजा है ?  शायद भारत में दो तरह की अभिव्यक्ति की आजादी है जिसमें सरफराज अहमद जैसे लोगों के लिए नियम अलग है, और उन्हें यह पूरी आजादी है कि वह हिंदुओं के आराध्यों का जमकर अपमान कर सकते हैं और नुपुर शर्मा के खिलाफ अपनी बात कहे बिना ही सिर काटने के फतवे जारी कर दिये जाते हैं !

हालांकि ये बहुत ही हैरानी करने वाली बात है कि अभी तक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की पैरवी करने वाले किसी भी महानुभाव ने नुपुर शर्मा को मिली धमकियों की निंदा नहीं की. लेकिन उनकी बातों से आहत होने वाले लोगों ने सरफराज अहमद जैसों के खिलाफ क्यों नहीं कुछ बोला ? उन्हें क्यों नहीं सोच-समझ कर बोलने की नसीहत दी गई ?

 

DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.