ब्रिटेन में पैगंबर मुहम्मद साहब की बेटी की कहानी को दिखाने वाली फिल्म ‘The Lady of Heaven’ पर मुzलमानों के विरोध के कारण सभी सिनेमाघरों से रोक दी गयी। विरोध इतना था कि सिने वर्ल्ड के कर्मचारियों और दर्शकों की जान को खतरा हो गया था। फिल्म के विरोध प्रदर्शन व्यापक रूप ले चुके हैं।
इस बीच फिल्म के निर्माता ने कहा है कि भीड़ के दबाव में स्क्रीनिंग रोकना ‘ब्रिटिश मूल्यों’ (British Values) पर सवाल है। निर्माता ने कहा, कि भीड़ को ‘निर्देशित’ करने का अधिकार दिया गया है, कि यूके में स्क्रीन पर क्या दिखाया जा सकता है और क्या नहीं।
ये फिल्म आईएसआईएस (ISIS) द्वारा इराक पर आक्रमण के साथ शुरू होती है और सातवीं शताब्दी के दौरान इस्लाम के संस्थापक की बेटी फातिमा  का जीवन चित्रण करती है। इस्लामी परंपरा धार्मिक शख्सियतों के प्रत्यक्ष चित्रण को वर्जित करती है। फिल्म के निर्देशक एली किंग ने फातिमा को एक काले नकाब से ढके एक फेसलेस चरित्र के रूप में दर्शाया है।
लंदन स्थित ‘द लेडी ऑफ हेवन’ के कार्यकारी निर्माता मलिक श्लिबक ने सिनेमाघरों के मालिकों द्वारा फिल्म को रोकने के निर्णय को अस्वीकार्य कहा है।उन्होंने कहा, कि ये कदम इन कट्टरपंथी चरमपंथियों और उनकी मांगों के आगे झुकना है। उन्होंने कहा कि यह एक व्यक्तिगत फिल्म के रूप में द लेडी ऑफ हेवन से कहीं बड़ा विषय है। यह हमारे ब्रिटिश मूल्यों के बारे में है और ये इस बारे में है कि वह हमारे लिए कितना मायने रखते हैं। उन्होंने कहा, इन गुटों को अब यह तय करने की शक्ति दी गई है कि ब्रिटिश जनता अपने स्थानीय सिनेमाघरों में क्या देख सकती है और क्या नहीं।
अब अहम् बात तो ये है कि मुzलमान इस्लाम का सच सामने क्यों नहीं आने दे रहे हैं।उनके मुताबिक इस्लाम सबसे अच्छा धर्म है तो उस अच्छे धर्म को गैर मुस्लिम लोगों तक उसकी अच्छाई जाने से रोक क्यों रहे हैं।

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