देश को जलाने ,डराने ,अपमानित करके दंगे फसाद के लिए उकसाने , पुलिस सेना ,वर्दी और हर सरकारी सम्बद्ध से प्रतिशोध लेकर व्यवस्था को अस्थिर करने का एक और प्रयास कल किया गया। लालकिले के प्राचीर जहाँ कभी इन उन्हीं कांग्रेसी , जो आज महामूढ़ नायक की मॉनिटरी में उल जलूल और राष्ट्र विरोध तक की स्तर पर उतर आए हैं , कभी इनके मसीहा और देश के चिचा जान जनाब नेहरू जी ने आधी रात को ही ये उद्घोष करके पूरी दुनिया बताया था कि -भारत आजाद हुआ।

आज उन्हीं के एक कैप्टन साहब के उकसावे पर और शरद पवार , ममता बनर्जी , तेजस्वी यादव , टुकड़े टुकड़े गैंग , जनलोकपाल जनाब केजरीवाल समेत एक से एक बड़े बड़े गवैये और नचइयै भी न सिर्फ अपने झंडे गुल्लक लिए साथ हो लिए थे बल्कि करोड़ों रूपए का दान योगदान देकर इस पल का इंतज़ार किया जा रहा था।

औरतें गा गा कर प्रधानमंत्री मोदी के मरने की ख्वाहिशें जता रही थीं और पंजाब से सीधा दिल्ली ,मोदी को उड़ा देने ,सरकार उलट देने , लालकिले से तिरंगा उतार कर वहां भाला तलवार लहराने वाले करतब करने और स्टंट के जमाने के अनुसार ट्रैक्टर से स्टंट दिखाने के ऐतिहासिक संकल्प के लिए ही तो ये महान आंदोलन चलाया जा रहा था।

हैरान हूँ कि अभी तक दलजीत दोसांझ , योगराज सिंह , हर भजन सिंह , सिद्धू ,विजेंद्र , योगेंद्र , राकेश जैसे नामों में से निकल कर कोई भी बाहर आकर यह नहीं कह रहा कि हाँ जी , असल में पिछली सारी बैठकों में सरकार से हम ये कह नहीं पाए कि हमें भी एक बार हुड़दंग करना है वो भी सीधा लालकिले पर जाकर अपनी जाहिलियत और मूर्खता का सार्वजनिक प्रदर्शन कर मीडिया अटेंशन लेना है – सिर्फ इसलिए ही हमने ये सब किया था।

वास्तिकता यही है कि , सालों से अलग अलग तरह की दुकानदारी जमाए हुए कुछ मुट्ठी भर लोग इस बदलते हुए भारत को देख ही नहीं पा रहे हैं। जिस भारत में भगवान् श्री राम के मंदिर का निर्माण हो रहा तो उधर नासूर बन चुका धारा 370 को दफ़न किया जा चुका है। अपने बिलों से फंफूद खुजली के इलाज के बहाने पाकिस्तानी और चीनी हकीमों से नुस्खे लेते रहने वालों को अब किसी भी कीमत पर इस सरकार को बदनाम और अस्थिर करना है।

जो अपराध किया गया , और ये जिन जिनके विरूद्ध किया गया अब सौगंध है उन्हें अपनी वर्दी ,अपने देश ,अपने क़ानून की , एक एक अपराधी को चिन्हित किया जाए , सार्वजनिक किया जाए और कानूनन वो दंड दिया जाए जो बाकियों के लिए एक सबक ,एक नज़ीर साबित हो सके। हठधर्मिता में उपद्रवियों ने लालकिले की प्राचीर को सर्कस में तब्दील करके रख दिया। पुलिस एवं पैरा मिलिट्री के जवानों पर जानलेवा हमले किए गए। ये सब उस लालकिले में किया गया जहां भारतीय सेना के गौरव और संघर्ष को समर्पित एक संग्रहालय संरक्षित किया गया है।

सरकार को भी बार बार ऐसी घटनाओं , दुःसाहस और अपराध की पुनरावृत्ति और ऐसी किसी भी संभावना को अब समय रहते ही समझने और उससे जूझने की नीति बना लेनी चाहिए। ये तय है कि पिछले छह वर्षों में सार्वजनिक कल्याण हेतु सरकार द्वारा बनाए जाने वाले नियमों का उद्देश्य और प्रभाव को देखते हुए , कानून ,समाज ,राष्ट्र के द्रोही और दोषी बौखला कर झुंझला कर क्रोध और खीज हताशा में निम्नतम स्तर पर पहुँच कर कुछ भी अनिष्ट कर सकते हैं। आने वाला समय अधिक संवेदनशील होगा ये तय है

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