क्या ये किसान है ? क्या ये अन्नदाता है ? आखिर किस आधार पर सच्चे किसान को बदनाम किया जा रहा है !!

पिछले 6 वर्षों से किसी न किसी मुद्दे से केंद्र सरकार को घेरने की ताक लगा कर बैठे उग्रवादी में आतंकवादी संगठन तथा असामाजिक तत्व जो कि पिछले कई वर्षों से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल थे कहीं ना कहीं 4 महीने पहले जब कृषि कानून को लेकर चर्चाएं शुरू हुई तब इस कानून की पेचिश की बताकर भोले-भाले किसानों को बरगलाने का कार्य शुरू किया किसानों के संगठनों को साथ लाकर देशव्यापी आंदोलन बनाने की तरफ झुकाव दिखाया मकसद सिर्फ एक था केंद्र सरकार को झुकाना और केंद्र सरकार के माध्यम से हिंदुस्तान को विश्व के पटल पर बदनाम करना जब धीरे-धीरे संगठन जुड़े लोग जुड़े आंदोलन में जब सच्चाई सामने आने लगी तब वही संगठन और वही किसान वापस अपने खेतों की ओर लौटने लगे परिणाम यह हुआ कि फिर कुछ खालिस्तानी संगठन सामने आए विदेशी फंडों के तहत हिंदुस्तान के अंदर फिर एक बार अराजकता फैलाने का प्लान दिया हुआ और प्लान यही था कि 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के दिन जहां पूरे हिंदुस्तान की नजर गणतंत्र दिवस पर रहेगी तथा पूरे विश्व के संज्ञान में यह दिन रहेगा इस दिन जहां 15 अगस्त को झंडा फहराया जाता है तिरंगा फहराया जाता है उस जगह पर जाकर खालिस्तानी या किसी भी अराजक तत्व के झंडे को फहराया जाए बस दुआ यही 25 जनवरी तक सारे आंतकवादी छिपे रहे दिल्ली के आसपास और 26 को समय से पहले दिल्ली में कुछ की और जिस प्रकार से दिल्ली पुलिस के जवानों को किसानों के नाम पर तलवार व अन्य हिंसक साधनों से मारने पीटने का प्रयास किया ऐसे लोग किसी भी सूरत में किसान तो नहीं हो सकते सच मायने में पिछले 3 महीने से किसान आंदोलन के नाम पर विदेशी फंड के आधार पर पिकनिक मनाने का कार्य आंतकवादी लोगों ने किया है सच्चे स्वरूप में हिंदुस्तान की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने का कार्य किया है केंद्र सरकार से पूरा हिंदुस्तान हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा है कि ऐसे फर्जी किसानों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही हो और इनका नेतृत्व करने वाले योगेंद्र यादव राकेश टिकैत जैसे लोगों को जेल के अंदर डाला जाए कि आज अगर इनका फनी कुचला गया तो भाभी भविष्य में हिंदुस्तान के लिए बहुत बड़े नासूर बन जाएंगे और फिर वह बीमारी कभी नहीं मिलेगी किसानों के नाम पर हिंदुस्तान को आग लगाने वाले हिंदुस्तान के तिरंगे का अपमान करने वाले यह राष्ट्र विरोधी लोग हैं जिनके ऊपर जितनी कड़ी कार्यवाही हो उतनी कम है जिस प्रकार से लाल किले पर खालिस्तानी झंडा लगाते समय तिरंगे का अपमान किया गया है गैर जिम्मेदाराना है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता

किसानों के नाम पर हिंदुस्तान के मासूम जनता को बरगला कर आंदोलन में शामिल किया गया और उनका मुखौटा बताकर केंद्र सरकार देश की नीति और नीति पर सीधा प्रहार कहीं ना कहीं इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि हिंदुस्तान के लिए कहा तक है एक बात अपने जहन में मिला लीजिए कि जिस हरकत से पाकिस्तान खुश होता हूं वह हरकत हिंदुस्तान के लिए कभी भी फायदेमंद नहीं हो सकती और कल ऐसा पहली बार देखा कि जहां तिरंगे का अपमान हो रहा था वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तानी झूम रहे थे पाकिस्तान नाच रहा था और यह पाकिस्तान की नापाक हरकत इस बात की ओर इशारा कर रही थी कि किसान कानून या किसान महज एक मुखौटा है बस की बल्कि उसके पीछे केवल और केवल आतंकवादी संगठन है जो हिंदुस्तान की छवि को खराब करना चाहते हैं ठेस पहुंचाना चाहते हैं

इस आर्टिकल में जो फोटो दिए आप उन फोटो को ध्यान से देखिए और बताइए कि क्या सच में यह किसान है यह कतई किसान नहीं हो सकते यह कातिल है हत्यारे हैं नमक हराम है देशद्रोही है और गद्दार है इन को जितनी सजा मिले उतनी कम है

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