किसान हमारे राष्ट्र के स्तंभों में से एक है। हमारे आबादी का अधिकांश हिस्सा अभी भी आजीविका के लिए कृषि क्षेत्र पर निर्भर है। हालाँकि, किसान की दुर्दशा हर किसी को अच्छी तरह से ज्ञात है, 70 साल की आजादी और फिर भी हम अपने स्तंभ को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए जूझ रहे हैं। यानी किसान।

उन्होंने अपनी आत्मा, समय, खेती के लिए लगा दिया,पैसा उधार लिया, अंत में, बस यह महसूस करने के लिए कि उनके प्रयास केवल अपने परिवार की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर नहीं सकते। वे हमारे लिए सर्वोत्तम गुणवत्ता का भोजन प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। इस तरह के कठिन संघर्ष के बाद भी, जब उन्हें पता चलता है कि वे ऋण का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं या परिवार को नहीं चला सकते हैं, तो वे अपनी सबसे महत्वपूर्ण संपत्ति यानी भूमि को बेचते हैं या सबसे खराब निर्णय लेते हैं, जीवन को समाप्त कर अपने परिवार को तकलीफ मे छोड देते हैं । आजादी के 70 साल बाद भी किसानों की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है? हमें एक समाज और सरकार के रूप में जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने किसानों के कल्याण के लिए किसी भी निर्णय / कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए।

श्री एम एस स्वामीनाथन ने किसानों के कल्याण के लिए कई पहल की हैं और विभिन्न मुद्दों पर सरकार को समय-समय पर मार्गदर्शन / सिफारिशें दी हैं। उनके कई सुझावों को पीएम मोदी सरकार ने पिछले 6 सालों में लागू किया है। मोदी सरकार के कुछ निर्णय :

मृदा स्वास्थ्य कार्ड

किसान क्रेडिट कार्ड (नाममात्र ब्याज दर के साथ 3 लाख तक का ऋण)

प्रधानमंत्री कृषि बीमा योजना। (लाखों किसानों को फायदा हुआ)

सिंचाई की सुविधा।

सालाना 6000 रुपये का सीधा ट्रांसफर।

प्रौद्योगिकी और तकनीक उन्मुख खेती।

जैविक खेती।

ई-एनएएम प्लेटफॉर्म प्रदान करना।

अतिरिक्त भंडारण की सुविधा प्रदान करना।

सरकार द्वारा खाद्यान्न की व्यापक खरीद।

प्रचुर मात्रा में उर्वरक की उपलब्धता।

ऐसी कई निर्णय किसानों को सकारात्मक रूप से मदद कर रही हैं, हालांकि, मैं कहूंगा कि अधिकांश क्रांतिकारी निर्णय 19 और 20 सितंबर को संसद द्वारा पारित बिल है। यह निश्चित रूप से किसानों के जीवन को खुशहाल बना देगा, उन्हें सशक्त बना देगा, आर्थिक रूप से मजबूत बना देगा, जीवन स्तर में सुधार और आत्महत्या दर में भारी गिरावट आयेगी।

इन बिलों के मुख्य सकारात्मक क्या हैं?

यह मुक्त इंट्रा और अंतर-राज्य व्यापार की अनुमति देता है, इसलिए किसानों को देश में कहीं भी मुक्त बाजार प्राप्त हुआ जो उन्हें सबसे अच्छी कीमत के आधार पर अपने माल को बेचने की आजादी मिली। यह एफडीआई प्रवाह और अर्थव्यवस्था में सुधार में मदद करेगा।

किसान और खरीदार के बीच सीधा समझौता, किसान कार्टेल की कीमतों पर निर्भर नहीं होगा। यह उन्हें अपने हिसाब से बेहतर मूल्य निर्धारण करना, परिवहन लागत में कमी, बिचौलियों द्वारा शोषण को रोकने और राजनीतिक नेताओं द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित बाजार के बारे में आश्वासन देगा।

खाद्य पदार्थों की नियमित आपूर्ति से बिचौलियों द्वारा बनाई गई कृत्रिम कमी बंद हो जाएगी।

कुछ बकाया होने पर भी खरीदार जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। किसानों को शोषण से पूरी तरह से संरक्षित किया गया है और उन्हें बेचने और अच्छा मुनाफा कमाने, अनुबंध करने, ई-एनएएम (E- NAM) प्लेटफॉर्म का उपयोग करने और अधिक लाभ के लिए प्रौद्योगिकी का सबसे अच्छा उपयोग करने की पूरी आजादी दी गयी है।

मुझे यह बिल किसानों के खिलाफ बिलकुल नहीं दिख रहा है, इसलिए इन सुधारों का विरोध करने वाले लोगों या राजनीतिक नेताओं को कुछ निहित स्वार्थ होना चाहिए। यह हमारा कर्तव्य है कि हम प्रत्येक किसान के समक्ष तथ्य बतायें ताकि शोषण करने वाले लोग, कुछ राजनीतिक नेता किसी भी तरह से किसान की अज्ञानता का लाभ न उठाएं।
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यह जश्न मनाने का समय हैं ना कि विरोध करने का समय है, क्योंकि शोषण करनेवाले कभी भी इन सुधारो का साथ नही देंगे, हमे मजबूती से सरकार और किसानों के साथ रहना हैं और साथ ही साथ सामाजिक और आर्थिक रूप से हमारे प्यारे किसानों के सशक्त और संवर्धित मूल्य में और वृद्धि करनी है।*
पंकज जगन्नाथ जयस्वाल
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