‘जय भीम जय मीम’ नारे लगाने वाली जमात का यह नारा कितना फटा पोस्टर है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि जब भी कभी ‘जय भीम’ वाले सही बात करते हैं तो ‘जय मीम’ वाले उनके ऊपर टूटकर पड़ते हैं…मगर जब भी कभी ‘जय मीम’ वाले कुछ गलत करते हैं तो ‘जय भीम’ वाले उनकी गलतियां छुपाने लग जाते हैं। आज कांग्रेस नेता उदित राज ने फेसबुक पर तालिबान का आकलन करते हुए एक फेसबुक पोस्ट लिखी जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान के उस दौर के राज्य का चित्रण किया जब महिलाओं को आजादी थी, थोड़ी ही देर में उदित राज की पोस्ट के नीचे शांतिप्रिय समुदाय के लोगों ने इतनी गालियां लिख दी कि मानो उन्होंने आजादी के ऊपर लिख कर कोई अपमान कर दिया हो।


दलितों के पोस्टर ब्यॉय उदित राज ने लिखा है कि ‘ये 1960 के दशक का अफगानिस्तान के कॉलेज का दृश्य है लेकिन धर्मांधता ने आज कहाँ पहुँचा दिया। आज वहाँ महिलाएँ ग़ुलामी व बुर्का में क़ैद हो गई हैं।भारत भी इसी ओर बढ़ रहा है।’ इतनी साधारण सी बात शांतिदूतों को हजम नहीं हुई और उनकी पोस्ट के नीचे उदित राज को भर भर के गालियां मिलने लगीं। 

जबकि Udit Raj का ये पोस्ट थोड़ा सा ही तालिबान के ख़िलाफ़ जाता दिख रहा है। मुस्लिमों के स्वाभाविक डार्लिंग रहे उदित की महज़ इतनी ‘गुस्ताखी’ सहन नहीं कर पाये मुस्लिम। इतनी गालियां, इतनी गालियां पड़ रही है उसे कि पूछिये मत। यानी भारत में तालिबान की आलोचना भारतीय मुस्लिमों के लिये इस्लाम ख़तरे में होने का सबब है। भले तालिबान से लड़ने वाले भी मुस्लिम ही हों।

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