बाबा महाकाल की पवित्र नगरी उज्जैन की महिमा इतनी निराली है कि उसे नमन करने को बारंबार नमन करने को जी चाहता है। बाबा महाकाल साक्षात राजा विक्रमादित्य के उज्जैन नगरी की हिफाजत करते हैं ऐसे में उस पवित्र नगरी का राजा विक्रमादित्य के समान सत्य निष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ व पराक्रमी होना चाहिए इसीलिए आज तक उज्जैन नगरी में कोई भी शासक रात के वक्त नहीं रुकता है।
सोचिए क्या वजह है कि कोई भी मुख्यमंत्री, कोई भी पदाधिकारी, कोई भी बड़ा लीडर, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति उज्जैन में रात में रुकने से इनकार कर देता है ?
अगर इतिहास की बात करें तो देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई उज्जैन में एक रात रूके थे और उसके बाद उनकी कुर्सी चली गई थी । उनको प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था !
अभी हाल फिलहाल की बात करें तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा सिर्फ एक रात उज्जैन में रुके थे और 20 दिन के अंदर उनको इस्तीफा देना पड़ गया !
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया जो कि सिंधिया राजवंश से आते हैं, राज परिवार से हैं इसके बाद भी वह कभी रात में उज्जैन में नहीं रुकते हैं ! अगर सिंधिया राज परिवार का कोई सदस्य उज्जैन आता है तो वह उज्जैन में नहीं रुकता है बल्कि विशेष रूप से उज्जैन के बाहर एक महल बनवाया गया है और उसी महल में सिंधिया राजपरिवार का सदस्य रुकता है !
मान्यता यह है कि राजा विक्रमादित्य के बाद से आज तक कोई भी राजा शासक या मुख्यमंत्री उज्जैन में रात में नहीं रुक पाया और अगर रुका तो उसका राजपाट चला गया ! मान्यता है कि राजा विक्रमादित्य के समान पराक्रमी, न्यायप्रिय और सत्यवादी शासक ही उज्जैन में रात में रुक सकता है ।
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