देशभर में जिस तरह से धर्मांतरण को लेकर भ्रमजाल फैलाया गया है, उसके भरभराकर गिरने का वक्त चल रहा है। अयोध्या-मथुरा-काशी जहां जहां हिंदू तीर्थ है वहां वहां अब्राहमिक रिलीजन अपनी मौजूदगी दर्ज जरूर कराते हैं, मंदिरों को तोड़कर-जमीन पर कब्जा कर या फिर सुनियोजित साजिश के तहत विदेशी पैसे के दम पर आर्थिक सहारा लेकर। उत्तराखंड की पहाड़ियों पर जहां तमाम हिंदू तीर्थस्थल जैसे गंगोत्री यमुनोत्री केदारनाथ बद्रीनाथ जोशीमठ इत्यादि है अब टिहरी जिले के इन पहाड़ियों पर भी ये जेहादी-आतंकी जासूसी करने के लिए अवैध मज़ारे/मस्जिदे बनाकर कब्जा करने लगे हैं।


असल में इस तरीके से आतंकियो के स्लीपर सेल का नेटवर्क फैलाया जाता है जो सेना/जनता पर नज़र रख आतंकियो के लिए मुखबिरी करते है और वक्त पड़ने पर हमले लूटपाट आदि अपराध भी करते हैैं। आप विचार कीजिए टिहरी झील के ठीक ऊपर इस मजार केेे मौजूद होनेे के क्या कारण हैैं? अपुष्ट खबरेें ये भी हैैं किसी लोकल आदमी ने ये मजार बनाई, मगर सवाल उठता है कि किस मकसद से बनाई? किसके कहने पर बनाई? कौन पीर लोग पहाड़ो में मजहबी कब्ज्जा करने घुुुम रहे हैैं।

आखिर ऐसी मजारें जगह जगह अवैध कब्जे के तौर पर क्यो बनाई जाती हैं। सड़क, पार्क, मन्दिर, अस्पताल, पहाड़ पर ये 786 लिखकर पीर बाबा का हरा झंडा क्यो गाड़ दिया जाता है। इस पूरी अतिक्रमण के खिलाफ सुनियोजित अभियान चलाए जाने की जरूरत है, क्योंकि जगह देखकर कुछ महीनों में पीर बाबा की मजार बनाने का जो अवैध धंधा चल रहा है, ये एक लंबी छिपी हुई इस्लामी साजिश भी हो सकती है।

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