देश में प्रधानमंत्री के तौर पर जिस तरह से वामपंथी इतिहासकारों ने पंडित नेहरू को प्रोजेक्ट किया है, अगर नेहरू की तुलना लाल बहादुर शास्त्री से बिना किसी लाग लपेट के की जाए तो ऐसे में यह अंतर अपने आप स्पष्ट हो जाता है कि कौन कितना महान था। कोट पर लाल गुलाब लगाने वाले पंडित नेहरू की सच्चाई और वहीं दूसरी तरफ अपनी ओवर कोट के नीचे फटा स्वेटर पहनने वाले लाल बहादुर शास्त्री की सादगी को जिस तरह एक षड्यंत्र के तहत छिपा दिया गया यह अपने आप में सवालिया निशान खड़े करता है।


कश्मीर के चश्मे से पानी मंगवा कर पीने, महंगे कपड़े पहनने, महंगी गाड़ियों में घूमने और अपने कोट पर लाल गुलाब लगाने वाले नेहरू के किस्से तो आपने बहुत सुने होंगे मगर अब लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ा यह किस्सा भी पढिये…

एक बार शास्त्री जी की अलमारी साफ़ की गई और उसमें से अनेक फटे पुराने कुर्ते निकाल दिये गए। लेकिन शास्त्री जी ने वे कुर्ते वापस मांगे और कहा- अब नवम्बर आयेगा, जाड़े के दिन होंगे, तब ये सब काम आयेंगे। ऊपर से कोट पहन लूंगा न। शास्त्री जी का खादी के प्रति प्रेम ही था कि उन्होंने फटे पुराने समझ हटा दिये गए कुर्तों को सहेजते हुए कहा- ये सब खादी के कपड़े हैं। बड़ी मेहनत से बनाए हैं बीनने वालों ने। इसका एक-एक सूत काम आना चाहिए।

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