NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं. एक जनजातीय महिला और भारत की प्रथम नागरिक द्रौपदी मुर्मू जी को पूरा देश बधाई दे रहा है. भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ, जब कोई आदिवासी महिला भारत की राष्ट्रपति बनीं हैं। बेहद शांत स्वभाव की मुर्मू लोगों को उनके अधिकार दिलाने के लिए भी जानी जाती हैं. उन्होंने शिक्षा के लिए अहम कदम उठाए, आदिवासियों के हितों की बात की और यहां तक कि अपनी ही सरकार के फैसलों पर भी सवाल उठाए.

द्रौपदी मुर्मू जी हमेशा मुखर रहीं हैं. उन्होंने संवैधानिक पद पर रहते हुए कई ऐसे फैसले लिए जिन्होंने ये साबित किया कि न तो वो अपने अधिकारों से समझौता करेंगी और न ही लोगों को उनके अधिकारों से वंचित होने देंगी. दरअसल ये बात उस समय की है जब द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थीं. वे 2015 से लेकर जुलाई 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रहीं. लेकिन नवंबर 2016 का दौर झारखंड में इतिहास में उथल-पुथल भरा रहा. रघुवर दास के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने दो सदी पुराने भूमि कानूनों-छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) और संथाल परगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियमों में संशोधन पारित किया था. इस संशोधन के तहत जमीन की औद्योगिक उपयोग के लिए अनुमति देना आसान हो जाता. राज्यभर में आदिवासी समुदाय ने इस संशोधन का विरोध किया ,जिसको लेकर झारखंड में कई दिनों तक प्रदर्शन चलता रहा. फिर इसे राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के पास भेजा गया. द्रौपदी मुर्मू ने सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि इस संशोधन से आदिवासियों को कितना फायदा होगा सरकार यह साफ करे. इस कानून पर विचार करने के बाद उन्होंने यह विधेयक सरकार को वापस कर दिया और मुहर नहीं लगाई. विधेयक वापस लौटाते हुए उन्होंने कहा था कि  ‘मेरी कलम से अन्याय नहीं होगा’ .

इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि द्रौपदी मुर्मू जी ने झारखंड की राज्यपाल रहते रघुवर दास सरकार के सीएनटी एसपीटी एक्ट में किए गए संशोधन को सिरे से इंकार किया था. सोचिए राज्य में बीजेपी की सरकार, केंद्र में बीजेपी की सरकार और बीजेपी की ही राज्यपाल .लेकिन आदिवासी हितों के खिलाफ किसी भी फैसले को पूरी हिम्मत से ना कहना ही द्रौपदी मुर्मू जी को औरों से हट कर बनाता है .

द्रौपदी मुर्मू 6 वर्ष से भी अधिक समय के लिए झारखंड की राज्यपाल रहीं। राज्यपाल रहते हुए वे हमेशा आदिवासियों और बालिकाओं के हितों को लेकर सजग और तत्पर रहीं।

वाकई जनजातियों के लिए ये एक नए युग का आरंभ कहा जा सकता है .

 

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