भारत में विपक्षी दलों के पास लगता है इस वक्त कोई काम नहीं है तभी तो एक बार फिर अग्निपथ योजना के खिलाफ ही सही सभी विपक्षी दल एक सुर में बोल रहे हैं. क्योंकि मोदी सरकार का, और सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने का विपक्षी दल कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते. विरोध के लिए विरोध करना विपक्ष के लिए नया नहीं है लेकिन सेना पर सवाल उठाकर विपक्ष ने अपनी रही सही छवि भी देश की नजरों में खराब कर ली है.
दरअसल सेना भर्ती में भी जातिवाद का जहर ढूंढने वाले इन लोगों की कुंठित मानसिकता को समझा जा सकता है कि किस तरह से अग्निपथ योजना को लेकर विपक्ष अब अपना मानसिक संतुलन खो चुका है और कैसे जातिवाद के नाम पर भारत में विपक्षी दलों की तरफ से अराजकता फैलाने की नाकाम कोशिश की जा रही है ।
दरअसल अग्निपथ योजना के अंतर्गत रिक्रूटमेंट फॉर्म में जाति का कॉलम देखकर बौखलाए विपक्षी दलों की तरफ से खोखले तर्क दिये जा रहे हैं. कहा तो यहां तक जा रहा है कि बीजेपी अग्निवीरों का इस्तेमाल कर ‘जातिवादी’ बनाने की कोशिश कर रही है.
देखिए किस तरह से ट्वीटर के जरिये विपक्षी दलों के तीसमार खानों ने अपने अधकचरे ज्ञान का बखान किया है.-
सबसे पहले बात उन महाशय की जिनके लिए ये मुहावरा सटीक बैठता है “काला अक्षर भैंस बराबर” जी हां हम तेजस्वी यादव की बात कर रहे हैं वही जिनको कागज पर लिखा हुआ देखकर भी हिन्दी बोलने में सांस फूल गई थी. अग्निपथ योजना को लेकर महाशय ने अपने ट्विटर हैंडल पर ट्वीट कर लिखा कि “जात न पूछो साधु की लेकिन जात पूछो फौजी की, संघ की BJP सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे है क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन RSS बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा”
इन्होंने आगे लिखा कि “आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छंटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छंटनी करेगी। सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत?” अरे भाई पीएम मोदी से ऐसी भी क्या कुंठा कि आपने देश की सेना पर ही उंगली उठा दी !
आजादी के बाद 75 वर्षों तक सेना में ठेके पर “अग्निपथ” व्यवस्था लागू नहीं थी। सेना में भर्ती होने के बाद 75% सैनिकों की छँटनी नहीं होती थी लेकिन संघ की कट्टर जातिवादी सरकार अब जाति/धर्म देखकर 75% सैनिकों की छँटनी करेगी।सेना में जब आरक्षण है ही नहीं तो जाति प्रमाणपत्र की क्या जरूरत? https://t.co/x8mpIwLcJC
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 19, 2022
‘अग्निपथ योजना’ पर विपक्ष घिनौनी राजनीति को अंजाम दे रहा है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के उस ट्वीट को देखिए जिसमें उन्होंने लिखा है कि मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है. क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार ‘सेना भर्ती’ में जाति पूछी जा रही है. मोदी जी आपको ‘अग्निवीर’ बनाना है या ‘जातिवीर’
मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है।
क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते?
भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है।
मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर” pic.twitter.com/fxgBre38Ft— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 19, 2022
लेकिन विडंबना देखिए सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों में सिर्फ विपक्षी दलों के ही नेता नहीं है बल्कि बीजेपी के सांसद वरुण गांधी भी है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि “सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है। क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे? सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए” –
सेना में किसी भी तरह का कोई आरक्षण नहीं है पर अग्निपथ की भर्तियों में जाति प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है।
क्या अब हम जाति देख कर किसी की राष्ट्रभक्ति तय करेंगे?
सेना की स्थापित परंपराओं को बदलने से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर जो प्रभाव पड़ेगा उसके बारे में सरकार को सोचना चाहिए। pic.twitter.com/vHWSpurtZT
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 19, 2022
जाहिर है इन सभी महानुभावों को ये बताना जरुरी है कि यह व्यवस्था सालों से चली आ रही है। बायोडेटा में नाम, पता, जाति काफी पहले से ही मांगी जाती रही है। किसी भी सरकारी फॉर्म में जाति का एक कॉलम हमेशा से रहा है और उससे SC-ST और OBC के लोगों को फीस में कुछ छूट मिलती है लेकिन मोदी विरोध में ये लोग इतने कुंठित हो चुके हैं बिना सिर-पैर की बाते करनी शुरू कर दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के विरोध में ये लोग आधे-अधूरे ज्ञान का सहारा लेकर सेना को घेरने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं.
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