गणेश जी प्रथम पूज्य क्यों हैं ?
आज जानते हैं कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य क्यूँ हैं !!
आज जानते हैं कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य क्यूँ हैं !!
एक बार भगवान् गणेश और उनके भाई भगवान् कार्तिकेय खेल रहे थे। गणेश जी वाहन चूहा है जबकि भगवान् कार्तिकेय का वाहन मोर है। दोनों में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि चूहा तेज़ दौड़ता है या मोर।
थोड़ी देर में जब विवाद बहुत बढ़ गया तो उसे सुलझाने नारद जी आये। वैसे तो साफ़ था की मोर की गति तेज होती है पर भगवान गणेश ऐसे मानने वाले थे नहीं । तो तय ये हुआ की जो समस्त ब्रह्मण्ड का चक्कर लगाकर पहले वापस आ जाएगा , वो विजेता माना जाएगा ।
दोनो भाइयों से तय स्थान से स्पर्धा आरम्भ की । कार्तिकेय मोर पर बैठ कर उस चले पर गणेश जी का वाहन चूहा बड़ी मुश्किल से चल पा रहा था । तभी गणेश जी ने अपनी दिशा बदली और जहां भगवान शिव शंकर और माता पार्वती बैठी थीं , उस शिला की परिक्रमा कर हाथ जोड़कर खड़े हो गए ।
कुछ समय पश्चात् भगवान कार्तिकेय , समस्त ब्रह्मांड की परिक्रमा कर वापस आए पर गणेश जी को देखकर अचंभित रह गए । नारद मुनि से विजेता बताने को कहा ।
नारद जी सब समझ चुके थे पर उन्होंने गणेश जी को अपनी बात कहने के लिए बोला । गणेश जी बोले : माता पिता में ही समस्त ब्रह्मांड का वास है । मैंने उन्हीं की परिक्रमा कर ली ।
भगवान कार्तिकेय सहित सभी लोग भगवान गणेश की इस बात से बहुत प्रसन्न हुए । इसी घटना के बाद भगवान गणेश को प्रथम पूज्य का वरदान मिला ।
आज भी भगवान गणेश की पूजा से ही समस्त कार्य प्रारम्भ होते हैं । भगवान गणेश का सम्पूर्ण जीवन ही इस तरह के प्रेरक प्रसंगों से भरा पड़ा है ।
भगवान गणेश सभी के मनोरथों को सफल बनाएँ !!!
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