जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन हो गया है। शुक्रवार सुबह हमलावर ने उन पर दो गोलियां चलाई थीं। कई घंटों तक इलाज के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका. आबे को एक हमलावर ने गोली मार दी थी. हमलावर ने पीछे से उन पर दो गोलियां चलाई जिसके बाद वे खून से लथपथ होकर जमीन पर गिर पड़े थे।

इस घटना के बाद से ही जहां पूरा जापान शिंजो आबे की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहा था. वहीं चीनी नागरिकों ने शिंजो आबे को गोली मारने की घटना के बाद सेलिब्रेशन शुरू कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चाइनीज माइक्रोब्लॉगिंग साइट वाइबो -Weibo पर चीनी नागरिकों ने शिंजो आबे की हत्या की कोशिश करने वाले खूनी को ‘हीरो’ के तौर पर पेश किया जा रहा है. वाइबो पर चीनी नागरिक खुलकर शिंजो आबे के मरने की कामना कर रहे थे. इतना ही नहीं, चीन का सरकारी मीडिया भी जापान के खिलाफ जहर उगल रहा है. ऐसी हालत में ये  सवाल उठना लाजिमी है कि शिंजो आबे की मौत के लिए चाइनीज क्यों कामना कर कर रहे थे ?

शिंजो आबे एक ऐसे राजनीतिक परिवार से आते थे, जो जापान के मुद्दों पर किसी भी तरह का समझौता नहीं करने के लिए जाना जाता था. चीन की नजरों में शिंजो आबे को उसके सबसे बड़े दुश्मन के तौर पर देखा जाता था. इतना ही नहीं शिंजो आबे की ईस्ट एशिया में चीन की दादागिरी के सामने मुखरता से खड़े रहने वाले राजनेता के तौर पर भी पहचान थी.

शिंजो आबे और PM मोदी के बीच गहरी दोस्ती थी. जिसकी तस्वीरें कई बार दुनिया देख चुकी है लेकिन यही दोस्ती देखकर चीन जल रहा था क्योंकि उसे मालूम था कि पहले से ही जापान ने चीन के नाक में दम कर दिया वहीं शिंजो के साथ मिलकर भारत ड्रैगन को तबाह करने के लिए काफी था. दरअसल अपनी खराब सेहत के कारण पीएम पद से इस्तीफा देने से पहले उन्होंने जापान-भारत के रिश्ते और ज़्यादा मजबूत करने वाले एक बेहद महत्वपूर्ण सैन्य समझौते Acquisition and Cross-Service Agreement पर हस्ताक्षर किए थे जिसके तहत इस समझौते को पीएम मोदी के लिए उनका आखिरी तोहफा भी कहा गया था.

शिंजो आबे पर हुए हमले की दुनिया भर में निंदा हो रही है। वहीं भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी शिंजो आबे के निधन पर गहरा दुख जताया है . साथ ही भारत में एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है .

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शिंजों आबे के बीच बेहद गहरी दोस्ती थी . कई मौकों पर दोनों की बेहद आकर्षक केमिस्ट्री देखने को मिली है। साल 2015 में शिंजों आबे जब भारत की यात्रा पर आए थे, तो पीएम मोदी उन्हें गंगा आरती के दर्शन कराने वाराणसी ले गए थे। दोनों नेताओं ने तब गंगा घाट पर साथ बैठकर काफी समय बिताया था।

इसमें कोई शक नहीं है कि आबे के नेतृत्व में भारत-जापान के रिश्तों को नया आयाम मिला है. शिंजो आबे न सिर्फ एक शक्तिशाली और मजबूत इच्छाशक्ति वाले नेता थे बल्कि वे सम्मान और साहस की मूर्ति भी थे. शिंजों आबे जैसे विज़नरी नेता को दुनिया हमेशा मिस करेगी.

 

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