पांच राज्यों में चुनावी शोर के बीच उत्तर प्रदेश में भी चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है, 2022 में यूपी में विधानसभा के चुनाव होने वाले है लेकिन लगता है सियासी खिचड़ी अभी से पकनी शुरू हो गई है,  AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने यूपी में एनकाउंटर पर कम्युनल कार्ड चल दिया, जाहिर है वोट बटोरने के लिए ओवैसी पूरी
ताकत झोकेंगे. रविवार को ओवैसी बलरामपुर जिले में एक रैली को संबोधित कर रहे थे लेकिन मंच से योगी सरकार के खिलाफ ओवैसी ने वो बात बोल दी जिससे यूपी की सियासत में अचानक गर्माहट आने लगी। ओवैसी ने कहा कि यूपी में जितने एनकाउंटर बीजेपी सरकार के दौरान हुए उसमें 37 फीसदी मुसलमान हैं. इसके लिए उन्होने मंच से ही कुछ आंकड़े गिनाए. लेकिन सवाल ये है कि जो आंकड़े ओवैसी गिना रहे हैं वो कितने सही है? सवाल ये भी है कि क्या ओवैसी एनकाउंटर पर धर्म की सियासत करके अपना वोटबैंक मजबूत करना चाहते हैं?


ओवैसी के इस बयान पर घमासान छिड़ गया है, योगी के मंत्री मोहसिन रजा ने पलटवार करते हुए कहा कि अपराधियों को धर्म के चश्मे से ना देखें, वहीं प्रदेश के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने भी कहा कि किसी भी व्यक्ति पर कोई आरोप लगाने से पहले फैक्ट जांचने चाहिए।

ओवैसी हमेशा से नफरत की राजनीति ही करते आए हैं, अपराध का कोई धर्म नहीं है। दरअसल सूबे की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में आते ही प्रदेश में एनकाउंटर का दौर बहुत जोर-शोर से चला, ताबड़तोड़ एनकाउंटर से प्रदेश में माफिया राज कम तो जरूर हुआ लेकिन इसको लेकर राजनीति भी जमकर हो रही है।

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