यूपी जिला पंचायत नतीजों में जिस तरह से पूरे प्रदेश में कमल खिला है उसे लेकर बीजेपी आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आश्वस्त दिख रही है। सबसे प्रमुख बात यह है कि जिस तथाकथित किसान आंदोलन के नाम पर बीजेपी के सफाई की बात प्रदेश से की जा रही थी उस आंदोलन के पहिए को जनता के नतीजों ने पंचर कर दिया है। 

जिस पश्चिमी उत्तर प्रदेश को उपजाऊ बेल्ट माना जाता है यहां जाटों का बोलबाला है और इसी जगह पर अल्पसंख्यक समुदाय के वोटों को साथ लेकर तथाकथित किसान नेता विपक्ष की गोदी में बैठकर बीजेपी को ललकार रहे थे, मगर जनता ने इनके पांव तले की जमीन खिसका दी है। दिलचस्प बात यह है कि जिस मुजफ्फरनगर से खुद राकेश टिकट आते हैं वहां बीजेपी ने भारतीय किसान यूनियन समर्थित उम्मीदवार के खिलाफ बंपर जीत दर्ज की है जबकि राकेश टिकैत और उसके भाई नरेश टिकैत ने बीजेपी को हराने के लिए मुजफ्फरनगर में रात दिन एक कर दिया था। चुनावी नतीजे देखकर समझ आता है कि राकेश टिकैत के पांव तले जमीन नहीं है वे केवल खालिस्तानी पैसों के दम पर ही बयान बहादुर बने फिरते हैं।

मुजफ्फरनगर, शामली, सहारनपुर, बिजनौर, बुलंदशहर, संभल, अमरोहा, बागपत, मुरादाबाद, हापुड़, गाजियाबाद किसान आंदोलन के केंद्र बिंदु थे। बागपत छोड़कर सभी जगह पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है। 

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