यूपी सरकार के धार्मिक स्थलों के रजिस्ट्रेशन और संचालन के लिए अध्यादेश लाने की तैयारी का अयोध्या के संतों ने भी स्वागत किया है संत समाज का यह मानना है कि सरकार के हस्तक्षेप के बाद मंदिरों की दुर्दशा समाप्त होगी आर्थिक रूप से कमजोर मंदिरों के अस्तित्व को रखरखाव और मंदिर की आमदनी पर जब सरकारी तंत्र हावी होगा तो जाहिर सी बात है कि मंदिरों की मेंटेनेंस की तरफ भी सरकार ध्यान देंगी इससे भारतीय संस्कृति और सभ्यता की रक्षा भी होगी तो मंदिरों की संपत्ति का दुरुपयोग भी लोग नहीं कर सकेंगे।

रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि यह बहुत ही जरूरी है बहुत से धार्मिक स्थल ऐसे हैं जो रखरखाव के अभाव में जीर्ण शीर्ण है धार्मिक स्थलों की परंपरा के अनुरूप ही उसका कार्य होना चाहिए बहुत से ऐसे स्थान हैं जो आर्थिक तंगी की वजह से उनकी व्यवस्थाएं नहीं हो पाती है मंदिरों की परंपराएं ना टूटे और उनकी व्यवस्था सुद्रण रूप से चलती रहे इस तरफ सरकार यदि कार्य करती है तो बहुत ही अच्छा होगा अधिकतम धार्मिक स्थलों का दुरुपयोग हो रहा है मंदिरों के रखरखाव में तमाम कमियां हैं मंदिरों में आए होने के बावजूद भी उसकी संमुचित व्यवस्थाएं नहीं की जा रही है सरकार का यह प्रयास सराहनीय है मंदिरों और धार्मिक स्थलों का संरक्षण होगा इस तरीके की व्यवस्थाएं होनी चाहिए

अयोध्या के धर्माचार्य कल्कि राम ने कहा कि इस पहल से धार्मिक स्थलों पर अवैध कब्जे समाप्त हो जाएंगे धार्मिक स्थल अवैध कब्जों से मुक्त होंग अयोध्या समेत पूरे उत्तर प्रदेश में प्राचीन जीर्ण शीर्ण मंदिरों का रखरखाव भी व्यवस्थित ढंग से होगा साथ ही जो प्राचीन मंदिर और कुंडों विलुप्त हो चुके हैं उनका भी दोबारा से जिर्णोधार हो सकेगा प्राचीन धार्मिक स्थलों के संरक्षण सरकार के द्वारा यदि होगा तो उसे प्राचीनता और उसकी प्रामाणिकता बची रहेगी साथी इस कार्य के लिए सरकार को बधाई दी है

तपस्वी छावनी के महंत जगत गुरु परमहंस आचार्य ने कहा कि भारतीय संस्कृति की पहचान मठ मंदिर हैं और इनके अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार का यह कदम सराहनीय है सरकार के इस पहल की साधु संत और धर्माचार्य सराहना करते हैं यह जो चर्चा हो रही है यह धरातल पर बहुत ही जल्द उतरेगी प्रदेश में तमाम मठ मंदिर ऐसे हैं जो रखरखाव के अभाव में जीर्ण हो गए हैं जर्जर हो चुके धार्मिक स्थलों के संरक्षण से भारतीय संस्कृति का भी संरक्षण होगा या पहल भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए बड़ा कदम है और सभी धर्माचार्य और साधु संत इस पहल का स्वागत करते हैं

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