सनातन के धार्मिक ऐप को बंद करने के पीछे ‘गाजा’ फेम कम्युनिस्ट मानसिकता; गुगल को दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए ! – सनातन की मांग
हाल ही में गूगल के 28 कर्मचारियों ने ‘इज़राइल के साथ गूगल के समझौते को रद्द करने’ के लिए हड़ताल की और गूगल पर ही भारी दबाव डाला । गूगलने इन पक्षपाती कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है। अगर विश्व के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान के कर्मचारी अपने काम को करने के स्थान पर धर्म को महत्व देते हैं और कम्युनिस्ट एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं, तो ऐसे कर्मचारियों से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए, कुछ महीने पहले सनातन संस्था के धार्मिक पूजा, आरती, नामजप और जागरूकता से संबंधित पांच ऐप को गुगल प्ले-स्टोर से हटा दिया गया था। इसके पीछे ‘गाजा’ फेम साम्यवादी मानसिकता के होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता। इसलिए सनातन संस्था ने मांग की है कि गूगल को उन गूगल कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने सनातन के सामाजिक और राष्ट्रहितैषी ऐप्स को हटाया है।
उपर उपर से ऐसा दिखाई देता है कि ये कर्मचारी गाजा में हिंसा रोकने या इजराइल के साथ हुए समझौते से गाजा में हिंसा ना बढे इसलिए आंदोलन कर रहे हैं; मात्र पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के विरुद्ध हिंसा के समय यह संवेदनशीलता कहां छिप जाती है ? इतना ही नहीं, गाजा के अलावा सूडान, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान समेत दुनिया भर में अनेक जगहों पर हिंसा चल रही है। कई जगहों पर मानवता को नष्ट करने का काम हो रहा है । उस पर गूगल के तथाकथित मानवतावादी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन क्यों नहीं करते है ? कुल मिलाकर इजराइल के सूत्र पर गुगल के कर्मचारियों का पक्षपातपूर्ण और एकतरफा रूप सामने आया है ।
इस बीच, सनातन संस्था के सात्त्विक कृति के लिए बनाये गये पांच ऐप हैं । देवताओं का नामजप, आरती, पूजा बतानेवाले ‘सनातन चैतन्यवाणी’, ‘गणेश पूजा और आरती’, ‘श्राद्ध विधि’, ‘सर्वाइवल गाइड’ (आपातकालीन स्थिति में खुद को बचाने के लिए क्या करना चाहिए) और ‘सनातन संस्था’, ऐप को बिना किसी पूर्व सूचना के गूगल प्ले-स्टोर से हटा दिया गया है। यह गूगल के ‘गाजा’ फेम’ विचारधारा वाले कम्युनिस्ट कर्मचारियों का अत्याचारपूर्ण व्यवहार है । कुछ दिन पहले ‘भारत मैट्रोमोनी’, ‘शादी कॉम’, ‘नौकरी कॉम’, ’99 एकर्स कॉम’ आदि ऐप्स को गूगल के कर्मचारियों ने हटा दिया था; लेकिन तीव्र विरोध के बाद ऐप को फिर से प्ले-स्टोर पर डाल दिया गया। हमारी मांग है कि सनातन संस्था का सामाजिक एवं राष्ट्रहितकारी एप जिसे हजारों लोगों ने पसंद किया है उसे पुनः गूगल प्ले-स्टोर पर डाला जाए।
श्री. चेतन राजहंस, प्रवक्ता, सनातन संस्था
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