‘दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ का प्रथम दिन !
इस अवसर पर ‘श्री मंगेश देवस्थान’ के अध्यक्ष डॉ. अजय कंटक और सचिव श्री. अरुण नाडकर्णी, कोरगाव–पेडणे स्थित श्री कमलेश्वर मंदिर के अध्यक्ष श्री. गुरुनाथ प्रभु और सचिव श्री. कृष्ण गावडे, जांबावली स्थित ‘श्री रामनाथ दामोदर देवस्थान’ के खजानची श्री. जयेश कामत–बांबोळकर, ‘गोमंतक मंदिर महासंघ’ के अध्यक्ष श्री. चंद्रकांत(भाई) पंडित एवं सचिव श्री. जयेश थळी उपस्थित थे । इस समय गोवा और उत्तर प्रदेश का विशेष संबंध बताते हुए श्री मंगेश देवस्थान के डॉ. अजय कंटक ने कहा, ‘‘काशी स्थित श्री विश्वनाथ मंदिर में पूजा का पहला मान श्री मंगेश देवस्थान के महाजन का है । प्रति वर्ष महाशिवरात्रि के उत्सव पर काशी स्थित विश्वनाथ मंदिर से गोवा के श्री मंगेश देवस्थान में गंगाजल भेजा जाता है, उस जल द्वारा महाशिवरात्रि के पश्चात देवस्थान के गर्भगृह की शुद्धि की जाती है ।’’
वह दिन दूर नहीं, जब हिन्दू एकत्रित होकर श्री काशी विश्वनाथ की पूजाकरेंगे !
– अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय
ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग जिस स्थान पर मिला है, सर्वाेच्च न्यायालय ने उस स्थान को प्रतिबंधित करने की अनुमति दी है । वहां हिन्दुओं के अन्य और प्रतीक और निशान मिले हैं । अव वह दिन दूर नहीं है, जब हिन्दू एकत्रित आकर काशी विश्वनाथ मंदिर में श्री विश्वनाथ की पूजा करेंगे, ऐसा दृढविश्वास ‘हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने व्यक्त किया । वे अधिवेशन के उद्बोधन सत्र में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ की भीषणता और काशी–मथुरा मुक्ति आंदोलन’ इस विषय पर बोल रहे थे । इस समय व्यासपीठ पर सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता हरि शंकर जैन, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अधिवक्ता अमृतेश एन.पी. एवं ‘सी.बी.आई.’ के भूतपूर्व संचालक श्री. एम. नागेश्वर राव उपस्थित थे ।
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