प्रस्तावना : गत कुछ वर्षाें से देशभर में ही नहीं, अपितु वैश्विक स्तर पर हिन्दू राष्ट्र की चर्चा हो रही है । ‘डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिन्दुत्व’के लिए कितना भी आकाश-पाताल एक कर लें, तब भी हिन्दू एवं देश विरोधी शक्तियों के मनसूवे अब विफल हो रहे हैं और हिन्दू जागृत हो रहे हैं । ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही लोगों के ‘मन की बात’ है ‘जो हिन्दू राष्ट्र का कार्य करेगा, वही देशपर राज करेगा’, यह भावना प्रबल होती जा रही है । ‘हिन्दू राष्ट्र’, यह कोई राजकीय संकल्पना नहीं, अपितु वह एक आध्यात्मिक संकल्पना है । ‘धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र’ यह संकुचित नहीं, अपितु विश्वकल्याणकारी है । इसमें एक चरण है भारतीय संविधान से ‘सेक्युलर’ एवं ‘सोशलिस्ट’ शब्द हटाकर उसके स्थान पर ‘स्पिरिच्युअल’ शब्द प्रतिष्ठापित कर भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करें, ऐसी एकमुखी मांग गोवा में संपन्न हुए ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में अर्थात ‘एकादश अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’में की गई । देश के कोने-कोने से, इसके साथ ही विदेश से भी 800 से भी अधिक संत, धर्मनिष्ठ, अधिवक्ता, विचारक एवं 350 से भी अधिक हिन्दू संगठनों के पदाधिकारी इस महोत्सव में सम्मिलित हुए थे । ‘हिन्दू राष्ट्र से हिन्दू विश्व तक’ यह इस महोत्सव की टैगलाइन अर्थात् घोषवाक्य था ।
इस महोत्सव में हिन्दुत्व पर हो रहे आघातों के विरोध में चर्चा की गई, उसे रोकने के लिए वैचारिक, वैधानिक, इसके साथ ही कृति के स्तर पर क्या प्रयत्न करने चाहिए, इसकी दिशा निश्चिती की गई । हिन्दुत्वनिष्ठों के धर्मबंधुत्व के नाते से हुआ संगठन, हिन्दू राष्ट्र-कार्य को उपासना का अधिष्ठान देने का किया निर्धार, इसके साथ ही इस धर्मकार्य को गति देने का सभी का दृढसंकल्प ही इस वैश्विक महोत्सव का फलित कहना होगा । हिन्दू राष्ट्र का विचार प्रत्येक घर, प्रत्येक मन तक पहुंचाने के कार्य हेतु हिन्दूराष्ट्रवीरों ने निर्धार किया ।
अधिवेशन में हिन्दू जनता एवं सरकार में समन्वय स्थापन करने के लिए ग्रामीणस्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’की स्थापना करना निश्चित किया है । उसके साथ ही लव जिहाद एवं हलाल जिहाद के विरोध में वर्षभर जागृति पर उपक्रम करना, मंदिर संस्कृति के पुनरुज्जीवन हेतु एक हजार मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू करना इसके लिए ‘समान कृति कार्यक्रम’ करना निश्चित किया है ।
गोवा के अधिवेशन से प्रारंभ हुई हिन्दू राष्ट्र की मांग अब जनता की मांग बनने लगी है । साधु-संत, राजकीय नेता, यह हिन्दू राष्ट्र के संदर्भ में बोलने लगे हैं । इसलिए अब ‘बिजली फ्री, यात्रा फ्री’ ऐसे झूठे आश्वासन नही; अपितु भारत को हिन्दू राष्ट्र की ठोस घोषणा चाहिए । संपूर्ण भारत में ‘गोहत्याबंदी कानून’ एवं ‘धर्मांतरबंदी कानून’ लागू करना, हिन्दुओं के देवी-देवताओं का अनादर करनेवालों पर कठोर कार्रवाई करनेवाला कानून बनाना, ‘वक्फ कानून’ एवं ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ जैसे अन्यायी कानून रहित करना आदि हिन्दू हितकारी मांगों का घोषणापत्र में समावेश कर उसे पूर्ण करनेवाले लोकप्रतिनिधियों को वर्ष 2024 में होनेवाले आगामी लोकसभा चुनावों में हिन्दुओं का सार्वजनिकरूप से समर्थन मिलेगा, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में किया । हिन्दुओं का राजकीय दृष्टि से जागृत न होना ही उनकी पराजय का कारण है । जागृत, सक्रिय एवं संगठित नागरिक ही लोकतंत्र की शक्ति हैं । इसलिए स्वदेश, स्वतंत्रता एवं समाजव्यवस्था के विषय में हिन्दुओं का अज्ञान, स्वार्थ एवं असंगठितता, पर कार्य करने की आवश्यकता है । ‘हिन्दुओं की रक्षा के लिए हिन्दुओं का सक्षम ‘इकोसिस्टिम’ होना चाहिए’, ऐसा प्रतिपादन ‘हिन्दू इकोसिस्टिम’के संस्थापक श्री. कपिल मिश्रा ने किया । ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’के अध्यक्ष श्री. राहुल कौल ने कहा कि जिहादी आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पंडितों के नरसंहार की अनदेखी करने से ही आज अनेक स्थानों पर ‘कश्मीर पैटर्न’ कार्यान्वित किया जा रहा है । जब से भारत में ‘वंदे भारत एक्सप्रेस’ आरंभ हुई, तब से उस पर देशभर में पथराव हो रहा है । आक्रमण की पद्धति भी एकसमान है । ‘वंदे मातरम्’से द्वेष करनेवाले ही ‘वंदे भारत एक्स्प्रेस’पर आक्रमण कर रहे हैं । क्या यह ‘रेल जिहाद’ नहीं ? ऐसा प्रश्न दिल्ली के संरक्षण विशेषज्ञ कर्नल आर.एस्.एन्. सिंह ने उपस्थित किया ।
वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर ने ‘हलाल’के माध्यम से हो रहे आर्थिक आक्रमण का उत्तर देने का आवाहन किया । ज्ञानव्यापी प्रकरण में हिन्दुओं का पक्ष प्रभावीरूप से रखनेवाले सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता विष्णु जैन ने काशी के उपरांत मथुरा एवं किष्किंधा मुक्ति के लिए कानूनी लडाई की घोषणा की । कठुआ बलात्कार प्रकरण में अभ्यासपूर्ण तथ्य प्रस्तुत करते हुए प्रा. मधु किश्वर ने यह प्रकरण हिन्दुओं को जम्मू से बाहर निकालने के लिए रचा गया षड्यंत्र कैसे है, यह सभी के समक्ष प्रमाणों सहित प्रस्तुत किया । इस अवसर पर ‘द रैशनलिस्ट मर्डर्स’ इस पुस्तक का प्रकाशन भी किया गया । पुस्तक के लेखक डॉ. अमित थडानी ने भी प्रमाणों के आधार पर सूत्र प्रस्तुत किया कि दाभोलकर, पानसरे, गौरी लंकेश आदि की हत्याओं की जांच केवल राजकीय उद्देश्य से की जाती है ।
संक्षेप में, हिन्दुत्वनिष्ठों के अपूर्व उत्साह में संपन्न ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’में हिन्दू राष्ट्र के लिए आनेवाले अभियानों को गति देने और विस्तार करना निश्चित किया गया है । हिन्दू राष्ट्र की संकल्पना केवल राजकीय नहीं, अपितु आध्यात्मिक है, वह रामराज्य पर आधारित है । उसे साध्य करने के लिए अथक प्रयत्न करने का हिन्दुत्वनिष्ठों ने किया निर्धार सभी ने किया । कालमहात्म्यानुसार वर्ष 2025 में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होनेवाली ही है । इस कार्य में तन-मन-धन समर्पित करने की प्रेरणा सभी को मिले, ऐसी ईश्वरचरणों में प्रार्थना है !
– संकलन : श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति,
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