हम उस परंपरा से आते हैं जहां सच को आदर्श माना जाता है, जब कि झूठ को अपराध माना जाता है। शत्रु से लड़ने के लिए हिंदुओं को स्वयं बोध यानी स्वधर्म को समझना होगा और शत्रु का विरोध करने के लिए भी स्वयं बोध को समझना होगा। कुरान में ‘काफिर’ शब्द का प्रयोग गैर-मुसलमानों के लिए किया गया है। कुरान में काफिरों के खिलाफ जिहाद का संदेश भी दिया गया है। यह हमारे दुश्मन की बर्बाद करने की साजिश है। महाराष्ट्र में वारी परंपरा में मुसलमानों ने घुसपैठ कर ली है। वारी में भाग लेने वाला मुसलमान विट्ठल की महिमा बता सकता था; लेकिन उन्होंने कहा ‘अल्लाह देवे, अल्लाह दे’ । पश्चिम बंगाल, कश्मीर, केरल जैसी मुस्लिम बहुल जगहों पर वे ऐसा नहीं करते। जहां वे अल्पसंख्यक हैं, वहां वे ऐसा करते हैं । इसलिए हिंदुओं को सबसे पहले शत्रु की अवधारणा को समझना होगा।
संगम टॉक्स हिंदू मूल्यों की रक्षा के लिए काम करता है – श्रीमती तान्या मनचंदा, संपादक, संगम टॉक्स
संगम टॉक्स की सम्पादिका श्रीमती तान्या मनचंदा ने कहा कि ‘संगम वार्ता’ के माध्यम से हम हिंदू धर्म पर हो रहे हमलों पर नकेल कस रहे हैं। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हमारी पीढ़ी, विशेषकर शहरी युवाओं को धार्मिक शिक्षा नहीं दी गई है; लेकिन ‘संगम टॉक्स’ चैनल के माध्यम से हम युवाओं के लिए हिंदुत्व को लेकर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। इसके जरिए हम युवाओं को हिंदू धर्म की ओर आकर्षित कर रहे हैं।’ हमने लव जिहाद और हिंदी सिनेमा की असली प्रकृति को उजागर किया। ‘संगम वार्ता’ के माध्यम से ईसाइयों की हिंदू विरोधी गतिविधियों का पर्दाफाश हुआ। कलियुग से ही सत्ययुग का निर्माण होगा; लेकिन हमें उसके लिए प्रयास करना चाहिए । हमने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए। एक ‘नैरेटिव’ रचा जा रहा है कि सिख हिंदुओं से अलग हैं। हमने चैनल के माध्यम से इसका स्वरूप भी उजागर किया। ‘संगम वार्ता’ के माध्यम से हिंदुओं का मार्गदर्शन किया जा रहा है।
समलैंगिकता को मंजूरी मिली तो भारत के कई कानूनों पर पड़ेगा असर! – एडवोकेट मकरंद अडकर, अध्यक्ष, महाराष्ट्र शैक्षिक एवं सांस्कृतिक संस्थान, नई दिल्ली
समलैंगिक संबंधों को वैध बनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में 15 याचिकाएं दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में हिंदू विवाह अधिनियम को समाप्त कर महिला और पुरुष दोनों की शादी को वैध बनाने की मांग की गई है। जब देश जल रहा था, तब सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर 15 दिनों तक सुनवाई की कि क्या समलैंगिकता को मान्यता दी जानी चाहिए। अगर देश में समलैंगिकता और उनकी शादी को मान्यता मिल गई तो हिंदू विवाह अधिनियम का क्या होगा? गुजारा भत्ता कौन देगा? महिलाओं की सुरक्षा करने वाले घरेलू हिंसा निवारण अधिनियम का क्या करें? पत्नी के साथ दुर्व्यवहार होगा तो पत्नी के रूप में न्याय किसे मिलेगा ? अगर समलैंगिकता को मान्यता मिल गई तो भारत के कई कानून प्रभावित होंगे। लेकिन कोर्ट को ऐसा कानून बनाने का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि समलैंगिकता हमारी संस्कृति नहीं है।
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति,
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