पूर्व अधिकारी श्री. मणि ने आगे कहा कि मनमोहन सिंह सरकार ने तिस्ता सेटलवाड को केवल 80 करोड रुपए ही नहीं दिए, अपितु अलग-अलग मंत्रालयों से भी बडे स्तर पर धन की आपूर्ति की है । उससे नक्सलवाद, साथ ही यासिन मलिक जैसे विभाजनवादियों को आधार दिया जा रहा था । उनके पक्ष में समाचार प्रसारित करने के लिए पत्रकारों को फ्लैट, विदेश यात्रा और धन दिया जा रहा था ।
इस विशेष संवाद में इतिहास के अध्येता तथा लेखक अधिवक्ता सतीश देशपांडे ने कहा कि तिस्ता सेटलवाड ने ‘सबरंग’ और ‘सिटीजन फॉर जस्टीस एंड पीस’ जैसी स्वयंसेवी संगठनों के माध्यमों से अपनी दुकान ही खोली है । गुजरात दंगे में मदीनाबीबी नाम की मुसलमान महिला के साथ बलात्कार की कोई घटना नहीं हुई थी; परंतु तब भी उससे झूठा शपथपत्र बनवाकर उसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, यह बात नानावटी आयोग के सामने उजागर हुई । इसके साथ ही तिस्ता के यहां काम करनेवाले उसके सहयोगी रईस पठाण ने तो उस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि जब तिस्ता सेटलवाड की सोनिया गांधी से भेंट हुई, तब सोनिया गांधी ने उसे कार्य करते रहने के लिए निरंतर धन की आपूर्ति करते रहने का आश्वासन दिया था, तो दूसरी ओर उन्होंने स्वयंसेवी संगठन को मिलनेवाली धनराशि में से 25 प्रतिशत धनराशि पीडितों के लिए व्यय करने के लिए कहा था । उस पर ‘50 प्रतिशत धनराशि तो दलाल ही लेते हैं और शेष 50 प्रतिशत धनराशि हमारे कार्य के लिए लगती है’, ऐसा तिस्ता ने बताया था । अतः रईस खान की व्यापक जांच करने से और बहुत कुछ बाहर आ सकेगा, ऐसा अधिवक्ता देशपांडे ने बताया है ।
रमेश शिंदे,
राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
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