सपने तो बस, यूँ ही
सपने होते हैं
मेरे, तुम्हारे
हम सब के सपने
सपने कभी मरते नहीं
खुली आँखों के सपने
खुमारी और नींद के सपने
खिड़की से चाँद तक
छलांगों के सपने
मुट्ठी में बादलों को
खींचने के सपने
सपनों का क़ानून नहीं
सपनों का दारोगा नहीं
सपनों की नैया नहीं
सपनों का साहिल नहीं
सपनों की सरहद नही
सपनों का वीज़ा भी नही
सपने उम्मीदों की आंच में पिघल कर
साँचों में ढलते हैं
सपने नया रूप धरते हैं
नए लिबास पहनते हैं
सपने तो बस सपने होते हैं
सपने कभी मरते नहीं।
~ अवतंस
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