एनसीपीसीआर जिसे हम नेशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन आफ चाइल्ड राइट्स की नाम से जानते हैं इस संस्था की स्थापना मार्च 2007 में बाल अधिकारों एवं बच्चों के संरक्षण के लिए किया गया था।
नेशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन आफ चाइल्ड राइट्स का मानना है कि देश के पूर्वोत्तर राज्य असम और मणिपुर में मरकज उल मारीफ संस्था के अधीन आने वाले मदरसों में विदेशों से संदिग्ध फंडिंग हुई है और उसके पैसे का दुरुपयोग हुआ है संस्था का यह मानना है कि वर्तमान लोकसभा सदस्य बदरुद्दीन अजमल जो धुबरी से चुन के गए हैं उनके द्वारा स्थापित बाल गृहों में ऐसे संस्थाओं से पैसे दान स्वरूप मिले हैं जिनका संबंध आतंकवादी संगठन अलकायदा से भी है।
एक धर्म विशेष के लिए तुर्की और खाड़ी के देशों से अजमल के संस्थाओं को भारी-भरकम चंदे में पैसे मिले हैं जो भारत में इस्लामिक कट्टरता को बढ़ावा देने के उपयोग में लगाया गया है।
एनसीपीसीआर ने अपनी जांच में बहुत ही सनसनीखेज खुलासे किए हैं संस्था का यह मानना है कि धुबरी बालगृह में काटने के लिए गाय दान में ली जाती थी, पशु हत्या के प्रशिक्षण के तौर पर गाय को बच्चों के सामने काटा जाता था, बाल गृह में बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार एवं पिटाई होती थी और साथ ही साथ बालगृह के बच्चों की संख्या 300 कम पाई गई है जो बेहद ही गंभीर मुद्दा है।
विदेशों से फंडिंग और नेशनल कमिशन फॉर प्रोटक्शन आफ चाइल्ड राइट्स के सनसनीखेज खुलासे के बाद से बदरुद्दीन अजमल पर देश की सारी एजेंसियाओ की पैनी निगाहें हैं।
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.