यूक्रेन पर रूस का हमला लगातार जारी है. रूस और यूक्रेन के बीच की लड़ाई का आज सातवां दिन है और रूस की सेना की तरफ से यूक्रेन की राजधानी कीव पर बमबारी जारी है. इसी बीच पूरा देश यूक्रेन में फंसे भारतीयों छात्रों की सकुशल वापसी के लिए जहां भारत सरकार और उनकी टीम का धन्यवाद कर रहा है वहीं हमारे देश की विपक्षी पार्टियां अलग ही राग आलाप रही हैं. जो छात्र वहां फंसे हुए है उनके लिए विपक्षी दल सरकार को जिम्मेदार ठहराने से बाज नहीं आ रहे हैं. जब से रुस-यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुए है हर मोर्चे पर भारत की विपक्षी पार्टियां सरकार की रणनीति और प्लानिंग पर सवाल उठा रही है.
विपक्षी दलों का कहना है कि जब सरकार को अंदाजा था कि वहां हालात ऐसे हो जाएंगे तो फिर सरकार ने समय रहते अपने लोगों को क्यों नहीं वहां से निकाला . जबकि सच्चाई ये है कि सरकार बार-बार वहां फंसे भारतीय छात्रों को निकलने की बात दोहराती रही.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि दुनिया के बाकी देश अपने नागरिकों को लेकर चले गए, क्या भारत सरकार सो रही थी? हज़ारों की संख्या में आज भी बच्चे यूक्रेन में फंसे हैं जिसके लिए सरकार कुछ नहीं कर रही है.
उधर प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भारत सरकार को इंसानियत का पाठ पढ़ाते हुए कह रही है कि भारत सरकार को सभी छात्रों को 3 महीने पहले भारत लेकर आना चाहिए था तब क्यों नहीं लाया गया जब सरकार को इसकी जानकारी थी और हर चीज़ में राजनीतिक बैठक की जाती लेकिन राजनीति से बढ़कर भी इंसानियत की लड़ाई होती है. बड़ी अजीब बात है कि ये वहीं ममता बनर्जी हैं जिन्होंने बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान बेकसूर हिंदुओं को मौत के घाट उतरवाया था. और आज इंसानियत का पाठ पढ़ा रही हैं.
वैसे इन सबसे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी भारत सरकार को किसी के जान की कीमत के बारे में बताते हुए ट्वीट किया था.
आज भले ही देश की तमाम विपक्षी पार्टियां भारत सरकार की आलोचना करने में जुटी हुई है, वैसे हमें भूलना नहीं चाहिए कि ये वही लोग है जो कभी कोरोना महामारी के समय सरकार की तैयारी को नाकाफी बताते हैं तो कभी सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगते है . खैर जो भी हो पीएम मोदी और उनकी टीम जिस जज्बे से यूक्रेन में फंसे भारतीयों को देश लाने का काम कर रही है ये देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए मिसाल है .
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