पिछले एक पखवाड़े पहले जब तीन महीने पहले ही संसद द्वारा लाए गए अध्यादेश को लागू किए जाने के बावजूद अचानक ही कुछ विशेष राजनैतिक दलों , चरमपंथी गुटों , वामपंथी विषधरों और कांग्रेसी षड्यंत्रकारियों द्वारा किसानों और उनके भेष धरे हुए लोगों को पहले उकसा ,भड़का कर अब राजधानी दिल्ली की सीमा के प्रवेश राष्ट्रीय राजमार्गों को बंधक बनाने का जो ये सारा प्रपंच चल और चलाया जा रहा है उसे मीडिया और उससे अधिक सोशल मीडिया की पोल खोल वीडियो फोटोज़ आदि के माध्यम से पूरा देश और दुनिया अच्छी तरह से देख और समझ चुकी है।  

सिर्फ एक कांग्रेस शासित राज्य , जिसके कृषक दशकों पहले ही किसान से आधुनिक कृषि व्यापारी और बड़े कारपोरेट व्यवसायी/आढ़ती में परिवर्तित होकर देश सहित  दुनिया के संपन्न कृषि जनित व्यवसायियों में शुमार हैं , जो पिछले कुछ समय से सरे आम ट्रैक्टर आदि सड़कों पर जला फूँक रहे हैं वे एक बार फिर से , अपने साथ , गीज़र , मसाजर ,पिज़्ज़ा , और जाने क्या क्या लेकर आधुनिकतम सुविधाओं से लैस ट्रेक्टर और बड़ी लग्ज़री कारों में बैठ कर दिल्ली की सीमा पर आकर केंद्र सरकार द्वारा पारित क़ानून को सीधा वापस लिए जाने की हठ पर अड़े हुए हैं।  

देश भर के सैकड़ों कृषि एवं कृषक संघ , संस्थान , निकाय आदि किसी ने भी न तो इन्हें अपना प्रतिनिधि मान कर सरकार से ऐसी किसी भी माँग रखने , बातचीत करने , आदि के लिए कोई लिखित मौखिक या सांकेतिक साथ या समर्थन देने की बात कही है।  लगातार बार बार बातचीत और विमर्श के लिए बुलाए जाने ,समझाए जाने के बावजूद भी कोई रास्ता नहीं निकल रहा क्यूंकि पता ही नहीं है कि , समस्या  क्या है , है भी या नहीं ,यदि है तो उसका समाधान क्या क्यों और कैसे है ? 

जैसा कि पिछले कुछ वर्षों में मोदी और भाजपा विरोधी हर व्यक्ति , समूह , संस्था , वर्ग ऐसे हर छोटे बड़े विरोध असहमति में अपने लिए अवसर और मौके बना कर अपना झंडा ,एजेंडा लिए सड़कों पर बैनर पोस्टर और अपना मुँह उठाए चला आता है इसमें भी वही हुआ।  महामारी में गरीबों के लिए दिन रात एक करने वाले सोनू सूद का साथ देने करोड़ों अरबों का डोनेशन देने कोई दलजीत कभी सामने नहीं आया मगर इस सड़क सेल्फी मेले के लिए फटाफट धन और तमाम सुख साधन को जुटाया जा रहा है 

जिस कांग्रेस ने सिर्फ दो सिक्खों द्वारा किए गए अपराध का बदला 1984 में सिक्ख दंगो के रूप में सिक्खों के सबसे बड़े नर संहार को अंजाम दिया था , सिखों को मारा काटा गया था , आज उसी कांग्रेस की गोद में बैठ कर योगराज सिंह जैसे नराधम सरे आम हिन्दुस्तान में ही हिन्दू महिलाओं को दो दो दो टके में बिकने वाली बता रहा है। 

कोई खालिस्तान ज़िंदाबाद की गैंग लेकर इस धरने में शामिल है तो कोई देश द्रोहियों ,दंगे के अपराधियों का रिश्तेदार बन कर उसे जेल से रिहा करवाने के लिए अपना जेहाद चला रहा है।  कहीं मसाज किया /करवाया जा रहा है तो कहीं गीज़र चल रहा है , कहीं पिज़्ज़े बाँटे जा रहे हैं तो कहीं सीधा कैश।  

किसान , खेत ,खलिहान , फसल , मंडी – ये सब कहीं भी नहीं हैं ,इस तथाकथित किसान आंदोलन में।  और यही सबसे बड़ा कारण है कि , इस अराजकता को रोज़ नए मुलम्मे और लैमिनेशन चढ़वा कर नई नई शक्ल दी जा रही है ,मगर सच की फ्लैश लाइट चमकते सारा नकली मेकअप पिघल कर अंदर का कुरूप सच बाहर आ गिरता है और उसी के साथ गिरते जा रहे हैं ये सब भी।  

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