‘श्रीराम मंदिर के दुष्प्रचार का षडयंत्र’ इस विषय पर ऑनलाइन संवाद !
अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण कार्य आयताकार आकार में करने में कठिनाई हो रही थी । इसलिए निकट की भूमि खरीदी गई । वह 2 करोड रूपए की भूमि 18 करोड 50 लाख रुपए में खरीदी गई, ऐसा आरोप लगाया जा रहा है । उस भूमि का मूल्य वर्ष 2011 में 2 करोड रुपए था । प्रतिवर्ष इस मूल्य में वृद्धि होती गई । वर्ष 2019 में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय श्री राम मंदिर के पक्ष में आने पर वहां की भूमि का मूल्य दोगुना हो गया । यदि सरकार वह भूमि बाजार मूल्य पर खरीदती, तो सरकार को 34 करोड रुपए देने पडते; परन्तु रामजन्मभूमि ट्रस्ट द्वारा की गई विनती के कारण वह मूल्य अल्प कर 18 करोड 50 लाख रुपए किया गया । इसलिए भूमि खरीदने में कोई भी घोटाला नहीं हुआ है, ऐसा स्पष्ट प्रतिपादन ‘टाइम्स’ समूह के वरिष्ठ पत्रकार डॉ. विश्वंभरनाथ अरोड़ा ने किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित ‘श्रीराम मंदिर के दुष्प्रचार का षडयंत्र’ इस विषय पर आयोजित ऑनलाइन विशेष संवाद में बोल रहे थे । इस कार्यक्रम का सीधा प्रसारण समिति के जालस्थल Hindujagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर पर 3,300 लोगों ने देखा ।
संवाद को संबोधित करते हुए विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. विनोद बंसल ने कहा कि श्री. अरोड़ा द्वारा बताया गया सत्य स्थानीय जनता को पूर्णत: ज्ञात होने के कारण भूमि खरीदी घोटाले का आरोप तीन दिनों में ही झूठा सिद्ध हुआ । यदि आरोप सत्य है, तो आरोप लगाने वाले सर्वोच्च न्यायालय में क्यों नहीं गए ? इस प्रकरण में उन्होंने अपराध प्रविष्ट क्यों नहीं किया ? वास्तव में राम को काल्पनिक कहने वाले लोग ही विकृत मानसिकता के कारण राममंदिर के निर्माण का विरोध कर रहे हैं; किन्तु राष्ट्रविरोधी ‘टूल-किट’ का सत्य सामने आ रहा है । भारत के 60 करोड लोगों ने जिस श्रीराम मंदिर हेतु 3,500 करोड रुपए का दान किया है, वह मंदिर श्री राम की कृपा से ही बनेगा ।
इस षडयंत्र का कारण स्पष्ट करते हुए ‘सांस्कृतिक गौरव संस्थान’ के केंद्रीय कार्यालय प्रमुख श्री. संजीव पुंडीर ने कहा कि अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव है । जिस ‘आम आदमी पार्टी’ का उत्तर प्रदेश में अस्तित्व ही नहीं है, उस दल के विधायक ने ऐसे आरोप लगाए हैं । आदरणीय चंपत राय पर झूठे आरोप लगाने वालों को कभी भी क्षमा नहीं किया जा सकता। उनके विरोध में न्यायालय में मानहानि का प्रकरण प्रविष्ट किया जाना चाहिए । हिन्दू जनजागृति समिति के दिल्ली समन्वयक श्री. कार्तिक साळुंके ने कहा कि, घोटाला तो बहाना है, मंदिर का काम रोकना, मूल उद्देश्य है । मंदिर का काम अटकाना, लटकाना और जनता को भटकाना इसके लिए एक टोली कार्य कर रही है । जिन्होंने सदैव राम मंदिर का विरोध कर अल्पसंख्यकों का तुष्टिकरण किया, क्या ऐसे लोगों को राम मंदिर के विषय में आरोप लगाने का अधिकार है ? अयोध्या की तपस्वी छावनी के परमहंस दास महाराज ने बताया कि राम मंदिर पर आरोप लगाने के लिए उन्हें 100 करोड रुपए का प्रस्ताव दिया गया है । इसकी विस्तृत जांच होनी चाहिए ।
श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
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