‘तृतीय विश्वयुद्ध की दिशा में’ इस विषय पर ऑनलाइन विशेष संवाद !
इजरायल ने कारगिल युद्ध के समय युद्ध सामग्री देकर भारत की सहायता की थी । यह हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए; किन्तु आज इजरायल और पैलेस्टाइन के युद्ध में हम पैलेस्टाइन का समर्थन कर रहे हैं । अपने मित्र की उपेक्षा क्यों ? इसी पैलेस्टाइन ने कश्मीर के विषय पर निरंतर भारत के विरोध में मतदान किया है । कश्मीर के जिहादी हिंसाचार का समर्थन किया है । उसने कभी भी हमारा समर्थन नहीं किया, उसी प्रकार चीन के संदर्भ में हमारी नीति स्वतंत्रता काल से ही गलत रही है । निरंतर भारत का भूभाग अधिग्रहित करनेवाले चीन की ओर हम मित्रता की दृष्टि से क्यों देख रहे हैं ? हम चीन को क्यों नहीं डांटते ? इस संदर्भ में अमेरिका के पूर्व सचिव माईक पॉम्पिओ ने ‘भारत द्वारा स्पष्ट भूमिका न लेने पर, चीन का पलडा भारी होगा’, ऐसा सार्वजनिक रूप से बताया था । इसलिए भारत पैलेस्टाइन और चीन के संदर्भ में सावधानी की भूमिका न ले, अपितु स्पष्ट भूमिका द्वारा इजरायल का समर्थन करे, ऐसा धारदार प्रतिपादन ‘रूट्स इन कश्मीर’ के संस्थापक श्री. सुशील पंडित ने किया । वे ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ आयोजित ‘क्या हम तृतीय विश्वयुद्ध की दिशा में बढ रहे हैं?’ इस ‘ऑनलाइन संवाद’ में बोल रहे थे । यह कार्यक्रम समिति के जालस्थल HinduJagruti.org, यू-ट्यूब और ट्विटर पर 11 हजार से अधिक लोगों ने देखा।
इस संवाद में राजनीतिक सलाहकार श्री. निशीथ शरणने कहा कि, वैश्विक वर्चस्व प्राप्त करने के लिए अमेरिका के बाद चीन प्रयत्नशील है । इसलिए वह ‘कोरोना विषाणु द्वारा जैविक युद्ध कैसे लडें’ इस हेतु अनेक वर्षों से प्रयोग कर रहा है । इस पर अनेक शोध निबंध उनके वैज्ञानिकों ने प्रस्तुत किए हैं । इस बारे में ऑस्ट्रेलिया के सैरी मैक्सन विस्तृत पुस्तक लिख रहे हैं । इसलिए प्रथम विश्व युद्ध रसायनिक हथियारों से और दूसरा विश्वयुद्ध परमाणु हथियारों से लडा गया तथा तीसरा विश्वयुद्ध जैविक हत्यारों से लडा जाएगा, ऐसा अमेरिका सहित अनेक विशेषज्ञों का मत है । यह युद्ध कुछ वर्ष पूर्व आरंभ हो गया है । ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि, सभी स्थिति देखकर तीसरा विश्वयुद्ध आरंभ हो गया है, ऐसा लगता है । इस युद्ध की प्रसव वेदना अनुभव होने लगी है । युद्धकाल में सीमा के सैनिकों समान देश की अंतर्गत सुरक्षा के लिए भारतीय नागरिकों को सैनिक बनकर लडना होगा । युद्धकाल में अनेक वस्तुएं नहीं मिलती; इसलिए औषधि, पानी, अन्न, बिजली इत्यादि की पर्यायी व्यवस्था करके रखनी होगी । इस हेतु सनातन संस्था ने 9 भाषाओँ में ‘आपातकालीन सुरक्षा’ नाम का ‘एंड्राईड एप’ बनाया है । इस संवाद में बोलते हुए ‘भारतरक्षा मंच’ के राष्ट्रीय सचिव श्री. अनिल धीर ने कहा कि, इजरायल और पैलेस्टाइन का युद्ध चालू होने पर इजरायल के अरबी लोगों ने दंगे चालू किए । वैसा ही भारत-पाक युद्ध होने पर भारत में हो सकता है; क्योंकि भारत में अनेक संवेदनशील क्षेत्र है । हम बंगाल और केरल राज्यों की हिंंसक घटनाओं से अभी तक नहीं सीखे हैं । इस पर राष्ट्रीय नीति निश्चित की जानी चाहिए । पंजाब ने मुसलमानों के लिए स्वतंत्र जिला बनाया है; परंतु ऐसी ही मांग अन्य राज्यों से आने पर वह राष्ट्र के लिए घातक होगी ।
श्री.रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति
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