बहुसंख्यक हिन्दुओं में असुरक्षितता, बक्फ बोर्ड से सम्बंधित समस्याएं, हलाल समस्या, संविधान द्वारा हिन्दुओं से भेदभाव, हिन्दुओं पर बलपूर्वक थोपा गया सेकुलरिज्म, धर्मान्तरण, हिन्दुओं का विस्थापन जैसी बड़ी बड़ी समस्याएं संविधान की विफलता को प्रदर्शित करती हैं। इन सभी समस्याओं पर समाधान तथा उपाय योजना पर मंथन के लिए हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन कर, शंखनाद और ब्रह्मवृंदों द्वारा वेदमंत्र पठन के उपरांत हुआ।
इस अधिवेशन में हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगले जी ने उपस्थित धर्म प्रेमियों को मार्गदर्शन करते हुए कहा कि पिछले 2 माह में उत्तर भारत के कई जिलों में हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन सफल हुए हैं, इसी शृंखला में आज का अधिवेशन अंतिम होगा।
भारत में 1976 में गैर लोकतान्त्रिक पद्धति से आपातकाल लागू करके संसद में भारत को सेक्युलर राष्ट्र घोषित कर दिया गया। झूठे लोकतंत्र के नाम पर वक्फ बोर्ड को लागू किया गया है। कम्युनिस्ट कहते हैं हम नास्तिक हैं परन्तु एक अन्य धर्मी जब कम्युनिस्ट बनता है तो वह अपने धर्म का पालन करता रहता है। तो कम्युनिस्ट बनकर अपना धर्म छोड़ना और नास्तिक बनना क्या सिर्फ हिन्दुओं के लिए है। क्या भारत में लोकतंत्र है ? लोकतंत्र में तो बहुसंख्यक जो कहता है उसे माना जाना चाहिए। संविधान कहता है कि सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं तो बहुसंख्यक हिन्दुओं को जो अधिकार मिलने थे, वो क्यों नहीं मिले उसके स्थान पर अल्पसंख्यकों को अधिकार क्यों दिए गए?
समानता की बात कही जाती है परन्तु वर्तमान व्यवस्था लोकतान्त्रिक व्यवस्था है क्या? ये संसद बहुसंख्यक हिन्दुओं को उसका हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं दे पा रही है?
सेकुलरिज्म को अभी तक परिभाषित नहीं किया गया है। आज हम अपने मंदिर , अपना धर्म नहीं बचा पा रहे, तो हमारे विरुद्ध क्या षड़यंत्र किया जा रहा है यह हमें सोचने की आवश्यकता है। संविधान ने जब अपना धर्म मानने का अधिकार दिया है तो हमें सेक्युलरिस्ट बनने की क्या आवश्यकता है और क्या यह सिर्फ हिन्दुओं को गुमराह करने के लिए है। इस सेक्युलर व्यवस्था में हिन्दू अपने धर्म की शिक्षा नहीं दे सकता, हिन्दुओं के मंदिर पर शासन का अधिकार संभव है, अन्य सुविधाएं भी देनी है तो वह अन्य धर्मियों के लिए हैं, हिन्दुओं का नहीं दी जाती। यदि माइनॉरिटी को सुविधाएं देना है तो पहले भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करें। बहुसंख्यक हिन्दुओं को सुविधा और सुरक्षा न देना संवैधानिक अत्याचार है। भारत विश्व का सबसे विफल लोकतंत्र है जहाँ पर बहुसंख्यक को उनके अधिकार नहीं मिल रहे।
सर्वोच्च न्यायालय के अधि. विष्णु शंकर जैन जी ने कहा वक्फ बोर्ड को सेक्यूलरिज्म के नाम पर भारत के अंदर एक समानांतर सरकार जैसे अधिकार दिए गए हैं। वक़्फ़ एक्ट के द्वारा मुसलमान किसी भी भूमि को कभी भी वक़्फ़ की संपत्ति घोषित कर सकते हैं। यदि किसी को इस पर आपत्ति है, तो भी वक़्फ़ एक्ट अंतर्गत मुसलमान अधिकारी के समक्ष ही इसकी सुनवाई की जाएगी। भारत के सामान्य न्यायालयों में इसकी सुनवाई तक नहीं है। ये इस देश के बहुसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार ही हैं!
मानव अधिकार कार्यकर्ता श्री रवि रंजन सिंह जी ने कहा कि हलाल अर्थव्यवस्था आज विश्व में 8 ट्रिलियन की हो गई है, जो भारत के लिए चिंताजनक है। आज हलाल प्रोडक्ट का विरोध करने की आवश्यकता है। अगर हम किसी प्रोडक्ट पर एक्सपायरी डेट देख सकते हैं तो साथ ही हलाल मार्क भी देख सकते हैं, हमें अपनी आदत बदलने की आवश्यकता है। शराब की बोतल पर लिखा होता है, “यह स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है” इसी प्रकार हलाल प्रोडक्ट देश के लिए हानिकारक है।
डॉ. रिंकू वढेरा जी ने बताया कि फेमिनिज्म का उद्देश्य महिला अधिकार के नाम पर भारत की परिवार व्यवस्था को ध्वस्त कर हमारा धर्मांतरण करना है। विदेश में बच्चो के पालन पोषण पर घरवालों का कितना योगदान होता है ? नेट फ्लिक्स और प्राइम अमेज़न पर टीनएज सेक्स के ऊपर मूवी बनती है, और ऐसी मूवी देखकर बच्चो पर क्या संस्कार होंगे यह सहज ही समझा जा सकता है। इन चलचित्रों के माध्यम से ‘परिवार महत्वपूर्ण नहीं है’ यह सोच आज हिन्दुओं के मन में भरी जा रही है। विदेशों में परिवार विच्छेद अधिक होता है, इस कारण कई समस्याएं शुरू होती है। इसलिए आज हमें अपने बच्चो को धर्म से जोड़ कर रखना है, अपने ग्रंथों के बारे में बच्चो को बताने की आवश्यकता है।
इसी के साथ सुश्री आरती अग्रवाल जी ने हिन्दू जेनोसाइड (हिन्दू वंशविच्छेद) के विषय में उपस्थितों का सम्बोधन किया। श्रीमती ज्योति कौल जी मे कश्मीर फाइल्स फ़िल्म को हो रहे विरोध के विषय में बताया, अधि. युद्धवीर सिंह चौहान जी ने धर्म पर हो रहे आघातों के विषय में न्यायालयीन संघर्ष के विषय में और अधि. श्रीमती अमिता सचदेवा जी ने हिन्दू विधिज्ञ परिषद के कार्य के विषय में उपस्थितों को संबोधित किया। उपस्थितों ने संपूर्ण वंदे मातरम के द्वारा अधिवेशन का समापन किया।
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