1. एक बड़ा सा स्टेज बना हुआ है। उस पर बहुत बड़ा सा डीजे सिस्टम लगा हुआ है। एक समान कपड़े पहने अनेक लोग नाच रहे हैं। मंच के सामने Z+ जैसी सुरक्षा है। मंच के सामने हजारो लोगों की भीड़ है जो विभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर बुलाई गयी है। मंच पर जोर जोर से मेरा यीशु मेरा यीशु गाना बज रहा है। अचानक कुछ देर के लिए गाना रुकता है और यीशु यीशु करते हुए पादरी का प्रवेश होता है । चार लोग ♿ व्हीलचेयर पर बैठे हुए जन्मजात विकलांग व्यक्ति को खींच कर लाते है। वह रो रो कर अपना दुख दर्द बताता है और भीड़ भाव भिवोर होने लगती है। अचानक पादरी ईसा मसीह का नाम लेकर उसे छूता है और चामत्कारिक रूप से वह विकलांग व्यक्ति पहले चलने लगता है फिर दौड़ने लगता है। स्टेज पर जोर जोर से डीजे बजने लगता है, लोग यीशु का नाम लेकर लोग कूदने लगते है और जिसके लिए ये ड्रामा रचा जाता है वह भीड़ कौतूहल से देख रही होती है। फिर भीड़ को ईशा मसीह के शक्तियों के बारे मे बताकर धर्मांतरण के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इस तरह के मंचन को चंगाई सभा कहा जाता है। इस तरह के चंगाई सभाओं में गूंगे बोलने लगते है, अंधे देखने लगते है, कैसर और एड्स जैसी बीमारियों को ठीक किया जाता है और दस्त की आत्मा भगाई जाती है । अंकुर निरुला और पास्टर बिजेंद्र जैसे लोग आपको हर शहर गांव मे ऐसी चंगाई सभा करते हुए मिल जाएगा। इन लोगों को न सिर्फ राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है ब्लकि अनेक बड़े बड़े राजनेता अभिनेता और सिलेब्रिटीज इन कार्यक्रमों में आते है।कल मैंने ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप को व्हीलचेयर पर बैठे देखा । शायद इन्हें डॉक्टर के इलाज से लाभ नहीं हो रहा है। इन्हें अवश्य ही भारत पहुंच कर किसी चंगाई सभा में भाग लेना चाहिए, मुझे पूर्ण विश्वास है कि कोई ना कोई पादरी ईसा मसीह का नाम लेकर इन्हें छुएगा फिर ये चलने क्या, दौड़ने लगेगें। शायद पोप ने जीवनपर्यंत गलत तरीके से यीशु का नाम लिया है या फिर इस तरह के शक्ति केवल भारत के पादरीयो में पाई जाती है।

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