2014 से पहले राजनीतिक समर्थकों को सिर्फ समर्थक कहा जाता था लेकिन 2014 की राजनीति में दो शब्द नए आए ये शब्द थे ‘मोदी भक्त‘ और ‘चमचा‘. राजनीति का संवाद जहां धीरे-धीरे गिरता जा रहा है, इन शब्दों से एक नया रंग मिला। इसमें से एक शब्द बहुत ही सोच समझ कर इज़ाद किया गया था और वो था ‘मोदी भक्त‘. राजनीति के इतिहास में इससे पहले किसी को किसी का भक्त नहीं बताया गया था. इसके पीछे की साइकोलॉजी थी, सनातन आस्था को भड़काना, क्योंकि सनातनियों में गुरु और भगवान की भक्ति का ही विधान है. इस बात को दूसरी पार्टियां अच्छे से समझती और जानती थीं. इतने सालों से इंटेलेक्चुअल जिनकी गोद में पले बढ़े थे. ये वक्त था, उनके लिए कुछ करने का, तो निकाला गया एक शब्द ‘मोदी भक्त’ और ये शब्द मार्किट में आया और आते ही हाथों हाथ बिक गया लेकिन जैसा विपक्ष ने सोचा था वैसा नहीं. विपक्ष चाहता था इस भक्त शब्द से हिंदू आस्था भड़के लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग था. लोगों ने हाथों हाथ ये शब्द ले लिया और इस शब्द को का समर्थन करने वाले ज्यादातर युवा थे. जिन्हे सिर्फ सही गलत समझ आता है कोई साइकोलॉजी कोई स्ट्रेटेजी काम नहीं आई. लोगों ने खुले आम माना कि वो हैं मोदी भक्त और मोदी अच्छा काम करेंगे तो वे करते रहेंगे उनकी भक्ति. इसके बाद उन्हीं लोगों ने अभद्र भाषा निकाली जिसमें ज़ॉम्बी, अंड भक्त, अंधभक्त जैसे शब्दों को शामिल किया गया.
अब एक पार्टी कुछ करे तो दूसरी चुप नहीं बैठती, इसका सीधा मतलब था जैसे को तैसा करने की बारी. इंटरनेट के माहौल में खुले आम बीजेपी समर्थकों को मोदी भक्त कहा जाने लगा. इसके जवाब में कहा गया किसी की गुलामी या चमचागिरी करने से कई बेहतर है भक्ति करना. यहां से निकला नया शब्द ‘चमचा‘ जिसे कांग्रेस समर्थकों ने सीधा अपने ऊपर लिया हालाकिं चमचे हर राजनैतिक पार्टी में होते हैं, लेकिन ये शब्द सिमट कर एक पार्टी विशेष का हो गया, क्योंकि उनके समर्थकों ने चमचा कहने पर सोशल मीडिया में हलचल मचा दी, और अनचाहे ही एक उड़ता तीर ले लिया. जिसकी टीस कांग्रेस समर्थकों को हमेशा चुभती रहेगी. जबकि मोदी जी के जाने के बाद मोदी भक्त शब्द अपने आप ही ख़त्म हो जाएगा, लेकिन चमचा कभी ना खत्म होने वाला अश्वत्थामा का शाप कांग्रेस समर्थकों को मिला है जो शायद ही मिट सके. जब तक कांग्रेस देश की राजनीति में रहेगी उनके समर्थक चमचे कहलाएंगे. इसलिए कहा गया है शब्दों का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिए तलवार से ज्यादा शब्द घाव देते हैं.
DISCLAIMER: The author is solely responsible for the views expressed in this article. The author carries the responsibility for citing and/or licensing of images utilized within the text.