ज़रा सोचिए: आंखों पर स्वार्थ की पट्टी बांधे हुए ये जनता प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी के लायक है…?

एक साधे सब सधे , सब साधे सब जाये। प्रधानसेवक मोदी का भी कुछ यही हिसाब रहा है अब तक। वो भी बिचारे समाज के हर वर्ग को लेकर चलना चाहते हैं लेकिन ये देश और समाज है की उन्हें सांस भी नहीं लेने देता। करने कुछ जाते हैं और होता कुछ और है। इसकी वजह है की निर्णय लेते समय वो अपने देशवासियों की एक विषेशता का ध्यान नहीं रखते ! हमारी कृतघ्नता !

मोदी समर्थकों को क्यों कहा गया ‘मोदी भक्त’? मोदी भक्तों ने जब ‘चमचा’ कहा तो इसे कांग्रेस समर्थकों ने इसे अपने ऊपर क्यों लिया?

2014 से पहले राजनीतिक समर्थकों को सिर्फ समर्थक कहा जाता था लेकिन 2014 की राजनीति में दो शब्द नए आए ये शब्द थे ‘मोदी...