ज़रा सोचिए: आंखों पर स्वार्थ की पट्टी बांधे हुए ये जनता प्रधानसेवक नरेंद्र मोदी के लायक है…?
एक साधे सब सधे , सब साधे सब जाये। प्रधानसेवक मोदी का भी कुछ यही हिसाब रहा है अब तक। वो भी बिचारे समाज के हर वर्ग को लेकर चलना चाहते हैं लेकिन ये देश और समाज है की उन्हें सांस भी नहीं लेने देता। करने कुछ जाते हैं और होता कुछ और है। इसकी वजह है की निर्णय लेते समय वो अपने देशवासियों की एक विषेशता का ध्यान नहीं रखते ! हमारी कृतघ्नता !