देश को अंग्रेजो से आजाद कराने में कई क्रान्तिकारी ने योगदान दिया पर हम कुछ गिने चुने लोगों को ही जानते हैं क्यूंकि राजनीतिक दल उन क्रांतिकारियों को भी अपने जाति से जोड़ कर देश विरोधी आंदोलन करते देखे गए हैं।
किसान आंदोलन में भगत सिंह का नाम लिया गया पंजाब के खालिस्तानी समर्थक भगत सिंह को खुद से जोड़ रहे हैं। पर उनको पता नहीं कि भगत सिंह अंग्रेजों के तानाशाह से लडे , गुरु तेग बहादुर और गोविंद सिंह मुघलों से लडे और जो कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते हैं वो कांग्रेस पार्टी ने क्रांतिकारियों को कभी वो सम्मान नहीं दिया क्यूंकि सत्ता अंग्रेजो की बनाई कांग्रेस को चाहिए थी। देश सही मायने में 1930 के समय ही आजाद हो जाता पर उस वक्त क्रान्तिकारी अपने चरम पर थे और अंग्रेजो को डर था कि कहीं सत्ता इन क्रांतिकारियों के हाथ में ना चली जाए। इसलिए अंग्रेजो ने कई लोगों को सत्ता का लोभ दिया और खुद से जोड़ दिया और बाम पंथी पत्रकारों द्वारा झूठ परोस कर आजादी को टाल दिया ताकि सत्ता कांग्रेस को मिले।
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह बार बार सिक्ख फौजियों का नाम लेते हैं और कहते हैं वो फौजी प्रभावित होंगे उनको इतना ही कहना चाहता हूं इस तरह के बेशर्म बयान ना दें। वो सिर्फ पंजाब के फौजी नहीं है वो देश के फौजी है और हर राज्य के लोग फौज में हैं। 10000 नौकरी छोड़ देंगे तो यहां करोड़ों खड़े हैं देश की रक्षा के लिए। अगर सरकार कहे कि फौज में देश की रक्षा के लिए भर्ती होना है बिना तनख्वाह के तब भी करोड़ों युवा बिना सोचे तैयार होंगे। एक जिम्मेदार मुख्यमंत्री जो सेना में सेवा कर चुके हैं सिर्फ राजनीति के लिए इस तरह के वाहियात बयान देते हैं दुर्भाग्यपूर्ण है।

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