संवैधानिक मार्ग से हिन्दू राष्ट्र स्थापित करेंगे ! – हिन्दुत्वनिष्ठ संगठन : – Akhil Bhartiya Hindu Rashtra Adhiveshan 2022
पणजी (गोवा) – संवैधानिक एवं संसदीय मार्ग से हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो सकती है, इसपर दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में आयोजित ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ में सर्व हिन्दू संगठनों का एकमत हुआ । उसमें अच्छे संवैधानिक प्रस्ताव बने हैं । वे हम केंद्र सरकार को देनेवाले हैं । इसके साथ ही नेपाल को भी पुनः एक बार हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए अधिवेशन के हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने एकमत से समर्थन दिया है । हिन्दुत्वनिष्ठों का अभूतपूर्व प्रतिसाद प्राप्त ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में भारत के 26 राज्यों सहित अमेरिका, हांगकांग, नेपाल, फिजी और इंग्लैंड के 177 से अधिक हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के 400 से अधिक प्रतिनिधि उपस्थित थे, ऐसी जानकारी हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने यहां पत्रकार परिषद में दी ।
वे पणजी, गोवा में दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ की समापन पत्रकार परिषद में बोल रहे थे । इस समय पत्रकार परिषद में ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, ‘गोमंतक हिन्दू प्रतिष्ठान’ के अध्यक्ष श्री. अंकित साळगांवकर, मिशनरियों द्वारा होनेवाले धर्मांतरण के विरोध में कार्य करनेवाली तेलंगाना की अभ्यासक श्रीमती एस्थर धनराज और ‘सनातन संस्था’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस उपस्थित थे ।
सद्गुरु (डॉ.) पिंगळे ने आगे कहा, जैसी जनप्रतिनिधियों की संसद है, वैसी धर्महित के विषय पर चर्चा करने के लिए धर्मप्रतिनिधियों की ‘हिन्दू राष्ट्र संसद’ तीन दिन इस अधिवेशन में आयोजित की गई थी । इस संसद में पारित होने वाले प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों को भेजे जाएंगे । उसके आधार पर भारतीय संसद में चर्चा हो सकती है, उदा. कानून का प्रस्तुतीकरण भारतीय संस्कृति के अनुसार हो, गुरुकुल शिक्षा मंडल स्थापित किया जाए, मंदिरों के पुजारी और वेदपाठाशाला को आर्थिक सहायता दी जाए, अल्पसंख्यक की श्रेणी देते समय वैश्विक स्तर के आधार पर दी जाए तथा श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में मान्यता दी जाए ।
इस समय तेलंगाना की श्रीमती एस्थर धनराज ने कहा कि, गोवा में ‘इन्क्विजिशन’ के नामपर ईसाई मिशनरियों ने 250 वर्ष गोमंतकियों ने किए हुए अमानवीय और क्रूर अत्याचारों लिए ईसाई संस्था के प्रमुख पोप को गोमंतकियों की सार्वजनिक क्षमा मांगनी चाहिए । धर्मांतरण के आधार पर राष्ट्रीयता समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है । इसलिए राष्ट्रीय स्तर पर ही धर्मांतरण पर प्रतिबंध लगना चाहिए ।
गोवा के श्री. अंकित साळगावकर ने कहा कि, गोवा में शिवोली के बिलिवर्स पंथ द्वारा पास्टर ‘डॉमनिक एंड जो मिनिस्ट्री’ ने विगत कुछ वर्षाें में बडी मात्रा में हिन्दुओं का धर्मांतरण किया है । रोग ठीक करने के नाम पर 15 रुपयों का ‘हीलिंग तेल’ 100 से 150 रुपयों में बेचकर पीडितों को ठगा गया है । यही पास्टर जब स्वयं बीमार हुआ, तब उसने ‘हीलिंग तेल’ का उपयोग नहीं किया, अपितु चिकित्सालय में भरती हो गया, यह उसके जाल में फंसे भोलेभाले हिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए । धर्मांतरण के माध्यम से करोडों रुपए एकत्रित किए जा रहे हैं । पास्टर डॉमनिक की संपत्ति का अन्वेषण ‘ईडी’ के माध्यम से किया जाना चाहिए, ऐसी हमारी गोवा सरकार से मांग है ।
‘हलाल जिहाद’ पुस्तक के लेखक तथा अभ्यासक श्री. रमेश शिंदे ने कहा कि, ‘हलाल’ की अनिवार्यता मुसलमानों के लिए है; अन्य धर्म–पंथियों के लिए नहीं । तब भी ‘हलाल’ प्रमाणित मांस तथा उत्पादन भारत के बहुसंख्यक हिन्दुओं पर लादना, ‘भारतीय संविधान’ ने दी हुई धार्मिक स्वतंत्रता तथा ग्राहक अधिकारों के विरुद्ध है । इसलिए 100 प्रतिशत ‘हलाल’ प्रमाणित खाद्यपदार्थाें का विक्रय करनेवाले ‘मैकडोनल्ड’, ‘के.एफ.सी.’ जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनीओं पर अभियोग प्रविष्ट करने चाहिए । ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ का विरोध करने के लिए प्रत्येक जिले के स्तर पर ‘हलालविरोधी कृति समिति’ की स्थापना होने लगी है । इस माध्यम से ‘हलाल अर्थव्यवस्था’ के विरोध में आंदोलन खडा करने की योजना है । समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘हलाल जिहाद ?’ अधिकाधिक लोगों को पढना चाहिए ।
इस समय श्री. चेतन राजहंस ने कहा कि, जिन आक्रांताओं को हमने संघर्ष कर भारत से भगाया है, उनके नाम भारत के शहरों को क्यों दिए जाएं ? उसके लिए हमने केंद्र सरकार से मांग की है कि ‘केंद्रीय नामकरण आयोग’ की स्थापना की जाए तथा देशभर के शहर, वास्तु, मार्ग, संग्रहालय आदि को दिए गए विदेशी आक्रांताओं के नाम परिवर्तित किए जाएं । उसके अनुसार ‘वास्को–दि–गामा’ इस विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर गोवा के शहर को दिया हुआ नाम ‘वास्को’ परिवर्तित कर गोमंतकियों की रक्षा के लिए लडनेवाले ‘छत्रपति संभाजी महाराज’ का ‘संभाजीनगर’ नाम दिया जाए ।
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