ये बात 1969 की है, एक ईरान 🇮🇷 में फिल्म आयी थी “The Cow” जिसकी कहानी लिखी थी गुलाम हुसैन सईदी ने जो उन्ही के एक उपन्यास पर आधारित थी जिसमे एजाटोला इंतेज़ामी ने एक ऐसे व्यक्ति का किरदार निभाया था जो अपनी गाय से इतना प्यार करता है की उसके बिना रह नहीं सकता , न कहीं बाहर जाता है न ही गाँव वालो से ही कुछ मतलब रखता है. गाँव वालों को लगता है की वह पागल है वह हमेशा ये सोचते हैं की कहीं उस गाय को कुछ हो गया तो इसका क्या होगा एक दिन बहुत ज़रूरी काम के सिलसिले में उस व्यक्ति को शहर जाना पड़ता है. एक घटना होती है और गाय मर जातीहै , गाँव वाले सोचते हैं वह जब शहर से आएगा उसको कैसे बताएँगे? तो उस गाय को दफना देते हैं और आपस में ये मंत्रणा करते हैं की जब वह आएगा तो उसको बोल देंगे की गाय कहीं भाग गयी, उस व्यक्ति के शहर से आने पर वो गाँव वाले कुछ ऐसा ही कहते हैं मगर कुछ दिन बाद उस व्यक्ति को सच्चाई पता चलती है और वो बदहवास सा हो जाता है वो उसकी याद में इतना पागल हो जाताहै की उसके तबेले में ही रहने लगता है उसी की तरह हरकते करने लगता है और चारा खाने लगता है…..कहानी जितनी मार्मिक है अभिनय भी बहुत बेहतरीन है, IMDB पर 8/10 नंबर मिले है आज जब Abhijeet Singh की वाल पर एक पिक देखि जिसमे एक व्यक्ति ने किसी गाय के प्रसव में मदत की और गाय के बच्चे को इस धरती पर आने में मदत की , बदले में उस गाय ने उसका माथा चूम कर उसे आशीर्वाद दिया, तो वह फिल्म याद आगयी…..

1979 ईरान क्रांति के बाद जब शाह का जाना हुआ और अयातुल्लाह खुमैनी काबिज हुए तबसे ईरान एक ऐसा देश बन गया न ही फिल्मे और न ही औरतों को आज़ादी……
याद रहे खुमैनी फ्रांस में थे और एयर फ्रांस से ईरान आये और उनको वामपंथियों का पूरा समर्थन था. ..

वामपंथियों जैसा दोगला कोई नहीं….

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