विशेष संवाद : ‘समलैंगिकता का सर्वोच्च न्यायालय में इतना महत्त्व क्यों ?’
 भा.दं.विकलम 377 हटाने के पश्चात भारत में समलैंगिकता को कानूनी मान्यता मिलने के पश्चात अब समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिका प्रविष्ट हुईं । इन याचिकाओं की नियमित सुनवाई होकर वह अब उन्हे इनका वर्गीकरण सर्वाेच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ में कर दिया गया है । एक सुनियोजित षड्यंत्र द्वारा समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का प्रयत्न शुरू है । वैसे नियमित अभियोगप्रलंबित निर्णय देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के पास समय नहीं हैपरंतु समलैंगिकता विषय के लिए न्यायालय के पास समय है । इसप्रकार से गलत कानून बनाकर पतिपत्नी के पवित्र विवाहबंधन के लिए संकट निर्माण किया जा रहा है । सरकार और समाज को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देकर इस देश को और अधिक पतन की ओर मार्गक्रमण आरंभ होगाऐसा प्रतिपादन सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता सुभाष झा ने किया । हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘समलैंगिकता का सर्वोच्च न्यायालय में इतना महत्त्व क्यों ?’ इस ऑनलाइन ‘विशेष संवाद’में वे बोल रहे थे ।

        अधिवक्ता झा आगे बोले, ‘मूलतसमलैंगिकता चर्चा का विषय हो ही नहीं सकतीकारण समलैंगिकता एक रोग है जिससे समाज के कुछ वर्ग ग्रस्त हैं । जिसप्रकार कोरोना के लिए सरकार ने लस बनाईउसीप्रकार इस रोग से ग्रस्त लोगों को इलाज की आवश्यकता है । कल देश के लाखों चोर कहने लगे ‘चोरी करनाहमारा संवैधानिक अधिकार हैतो उनका ऐसा संवैधानिक अधिकार हो ही नहीं सकता । इसीप्रकार समलैंगिकता के विषय में भी है । समलैंगिकता के समर्थन में याचिका न्यायालय में प्रविष्ट करनेवाले कौन हैं इसका सरकार को पता लगाना चाहिए ।

इतिहास की अध्ययनकर्ता मीनाक्षी शरण ने कहासमलैंगिकता रोम एवं ग्रीस देशों से आई विकृति है । इसीसे एड्स रोग की उत्पत्ति हुई है । समलैंगिकता को मान्यता देकर पवित्र विवाहसंस्था एवं कुटुंबव्यवस्था पर चारों ओर से आघात किए जा रहे हैं । हिन्दू धर्म में विवाह के समय पुरुष एवं स्त्री के मिलन को शिवशक्ति का मिलन माना गया है । धर्म में जो चार ऋण बताए हैंउनमें से पितृ ऋण चुकाने के लिए संतान की आवश्यकता होती है । वह केवल विवाह के माध्यम से ही साध्य हो सकता है । धर्म का योग्य पालन हो सकता है । वर्तमान में भटकी हुई युवा पीढी को समलैंगिकता के माध्यम से दिशाहीन करने का प्रयत्न किया जा रहा है । समाज में ऐसी अप्राकृतिक एवं गलत बातों का विरोध करने की आवश्यकता है ।

श्री. रमेश शिंदे, राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिन्दू जनजागृति समिति

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