#सिख समाज जागो,

दो साल पहले दिल्ली में किसी बात कर नाराज होकर रात को धरना देते हुए सिख समाज के लोग “खालिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाने लगे थे, चलो इतने की तो अब हमें भी आदत हो ही गई है ?

पर वही थोड़ी देर बाद “नारा ए तकबीर अल्लाह ओ अकबर” के नारे भी लगाने लगे तो ऐसा लगा कि अब ओखली में सर आ चुका है मैं समझ गया कि इनमें अधिकांश लोग सौतन विधवा होनी चाहिए चाहे पति मर जाए वाले मोड पर आ चुके हैं

मित्रों, ये पति नहीं मरता रे

ये राणा, शिवाजी और बाजीराव का वंशज है। तुम देख लो कि तुमको किताबी फरमान से कौन बचाएगा …?

और हाँ, अब “सवा लाख से एक लड़ने” वाला समय चला गया, ऐसा नारा देने वाले हमारे चंडी उपासक गुरु भी नहीं

अब तो मैक्स आर्थर मैक्लिफ का ट्रांसलेशन और जीसस की शरणागति लिए महाराजा रणजीत सिंह के लौंडे “दिलीप सिंह का हाले लूया” अपना रंग दिखा रहा ☺️

रही सही कसर ISI खालिस्तान मूमेंट पर जोर लगाकर पूरी भी कर रहा

स्वयं सोचो कि सिख समाज और उनकी लड़कियां क्या काफिर नहीं हैं ? अगर नहीं हैं तो उनके मुफ्ती से इसका वाजिब फरमान (फतवा) निकलवा लो और अगर आप काफिर ही हैं तो फिर ये सब जो हो रहा है इन सबकी आदत डाल लो ?

जलते घर को देखने वालो, फूस का छप्पर आपका है

आपके पीछे तेज हवा है आगे मुकद्दर आपका है

उसके क़त्ल पर मैं भी चुप था, ? मेरा नंबर अब आया

मेरे कत्ल पर आप चुप हैं ? ? अगला नंबर आपका है ☺️

हर हर महादेव ?

सिख लड़की को ले गया भाई चारा

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