यमराज के वाहन भैंसों के झुंड ने रोका था पुलिस की गाड़ियों को
मौत जैसे खींच रही थी विकास दुबे को
कानपुर में तेजी से दौड़ता पुलिस की कारों का काफिला, पीछे मीडिया – हवा में एक सनसनी
आठ वीर पुलिस के जवानों का हत्यारा विकास दुबे जिसे पकड़ के पुलिस ले जा रही थी, कुछ ही घण्टो बाद मजिस्ट्रेट के सामने होनी थी पेशी
विकास दुबे को याद आ रहा था, कैसे उसने संतोष शुक्ला, डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, मैनेजर सिद्धेश्वर पांडेय, व्यापारी दिनेश दुबे जैसे अनेक लोगों की हत्या की – हर बार कानून के पंजों से बच निकला
मन मे हंस रहा था विकास दुबे – बस थोड़ी देर में मेजिस्ट्रेट, फिर जेल – फिर बड़े बड़े वकील खड़े होंगे, एक एक गवाह को खरीदूंगा या डरा दूंगा या मरवा दूंगा , हर बार की तरह बचना तय
लेकिन तभी धड़ाम, कारों का काफिला झटके से रुकता हैं। कारें टकराती हैं। तेज भागती कार एकदम पलट जाती हैं। कारों के काफिले के सामने साक्षात यमराज के वाहन – भैंसों का झुंड दौड़ रहा था – जैसे खुद यमराज आये हो – आठो पुलिस वालों की हत्या का बदला लेने
फिर जो हुआ, जैसे मौत खींचने आयी हो, विकास दुबे मौत के इशारों पर नाच रहा था – उसने देखा इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी, सब इंस्पेक्टर अनूप सिंह, सत्यवीर सिंह, पंकज सिंह घायल है और लगभग बेहोशी की हालत में
विकास दुबे के हाथ जैसे अपने आप उठे, उसने इंस्पेक्टर रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींचा और गाड़ी से निकल कर कच्चे रास्ते पर भागने लगा – मौत विकास दुबे के सिर पर नाच रही थी , उसे खींच रही थी
पीछे अब तक रुक चुकी पुलिस की गाड़ियों में से पुलिस वाले अभी सहायता के लिए उतर ही रहे थे कि उन्होंने विकास दुबे को भागता देखा – उनमें से कुछ विकास के पीछे भागे, कुछ घायल पुलिस वालों की मदद करने दौड़े
मौत की तरफ भागते विकास ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। तभी एक गोली विकास के हाथ मे और तीन सीधे उसकी छाती में
कुछ ही मिनटों में यमराज उसको लेकर जा रहे थे। उनके कई कर्मो का हिसाब अब ऊपर यमराज के दरबार में होना था
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