केवल हिन्दू ही नहीं ,यहाँ के रहने वाले सभी समुदाय चाहे वे मुसलमान हों या ईसाई ,ये सब भी ,हिन्दू हैं – सैयद अहमद (अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के संस्थापक ) 3 फरवरी 1884 .

Indian Association Lahore द्वारा आयोजित इस सभा में अपनी इस बात को आगे बढ़ाते हुए सर सैयद अहमद कहते हैं की कौम को किसी पूजा-पद्धति यामजहबी आस्था के साथ सीमित नहीं करना चाहिए , क्यूंकि कौम के सभी लोग चाहे हिन्दू हों या मुसलमान ,इसी भूमि पर रह रहे हैं ,यहां का अन्न-जल सेवन करते हैं और समृद्धि व् अधिकारों का सामान रूप से उपभोग करते हैं | हिंदुस्थान में रहने वाले इन दोनों समुदायों को हिन्दू राष्ट्र या कौम के साझे नाम पर एकजुट रहना चाहिए |



आज भूल वश भी यदि कोई भी मुस्लिम विद्वान ऐसी बात को सोचे और कहे भी तो उसके खिलाफ तुरंत फतवा जारी हो जाए | हाल ही में हुए एक अफसोसजनक घटना में इस विश्व विद्यालय के एक छात्र ने अपने साथ ही पढ़ने वाली छात्रा को जबरन हिजाब पहनाने की धमकी दे डाली है और न पहनने की सूरत में उसे पीतल का हिज़ाब पहनाने की बात कह दी |

इससे भी अधिक अफ़सोस की बात ये है की वहाँ का शिक्षक समुदाय भी इसे जस्टीफाई करने में लगा हुआ है और पूरी बेशर्मी से इसे सही बता रहा है | जबकि इस तरह की शरीया सोच की हिमायत करने के लिए और इसे आगे बढ़ाने की कट्टर वादी सोच से बिलकुल विपरीत सोच और उद्देश्य के साथ स्थापना की गई थी इस -मोहम्डन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज की वर्ष 1975 में | 

ये कॉलेज जो बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय के रूप में स्थापित हुआ , सैयद अहमद द्वारा , ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज विश्व विद्यालय जैसा शिक्षण संस्थान बनाने , और विशेष रूप से मुस्लिमों में व्याप्त अज्ञानता ,मजहबी रूढ़िवाद को खत्म करने के लिए उन्हें वैज्ञानिक और आधुनिक शिक्षा पद्धति से जोड़ कर समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए किया गया था | इसके लिए सैयद अहमद द्वारा चलाए गए अलीगढ़ आंदोलन से प्रेरित होकर इस महाविद्यालय ,जिसे वर्ष 1920 में अलीग़ढ मुस्मिल विश्व विद्यालय का दर्ज़ा हासिल हुआ , की नींव रखी गई थी | 

इतना ही नहीं आज , जिस तरह किस शरीया सोच से वहाँ का शैक्षिणक माहौल दूषित किया जा रहा है और छात्राओं तक को वहां ऐसी धमकियाँ दी जा रही हैं ,कभी मुस्लिम बच्चियों को भी ऐसे आधुनिक शिक्षा प्रवाह से जोड़ने के लिए डॉ शेख अब्दुल्ला जो पापा मियाँ के नाम से विख्यात थे तथा खातून नामक एक पत्रिका सिर्फ महिलाओं की शिक्षा का समर्थन करने के लिए निकालते थे उनके अपने अथक परिणाम से युवतियों के लिए अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय महिला कॉलेज की भी स्थापना हुई |

हालाँकि ये कितना सफल रहा इसका अंदाज़ा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2014 में मौलाना आजाद पुस्तकालय में छात्रों के प्रवेश की एक मांग को ठुकरा दिया गया था | और बाद में अदालती हस्तक्षेप के बाद ही उनको वहां जगह मिली | 

वर्तमान में केंद्र की भाजपा सरकार आने के बाद स्थतियों को जान बूझ का और बदतर किया जाने लगा बिना ये सोचे समझे कि विश्व के सबसे अच्छे 1000 विश्व विद्यालयों में अपना नाम शुमार करने वाले इस शिक्षण ससंथान की छवि ऐसी नकारात्मक सोच और कट्टर पंथी शरीया रवैये से कितनी धूमिल होगी | गौर तलब बात ये भी है की यहां , पढ़ने वाले छात्रों को भी शेरवानी पहनना लाज़िमी सा है और विशष कार्यक्रमों में तो ये सर्वथा अनिवार्य भी | 

आधुनिक और वैज्ञानिक शिक्षा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया ये संस्थान और आज इस पर शरीया की कट्टर सोच को हावी होता देख मुस्लिमों के सच्चे हिमायती ,सर सैयद अहमद की रूह कितनी तकलीफ पा रही होगी काश कि ये सोच पाते | जो भी हो अब जब देश , एक राष्ट्र एक कानून की अवधारणा पर आगे बढ़ रहा है तो ऐसे में , इस जैसे सोच वाले तमाम लोगों और संस्थानों को भी खुद की नए समय के अनुसार बदलने के लिए तैयार रहना चाहिए | 

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