नेहरू गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी राजनीतिक रूप से कुछ ख़ास कर पाती नही दिख रही है। दुनिया के बड़े से बड़े रणनीतिकार और विभिन्न तरह के उपाय भी राहुल गांधी को स्थापित नही कर पाए।राहुल को कई बार लांच किया गया, हर बार नया पहलू दिखाने की कोशिश की गई। 1990 के दशक में पार्टी द्वारा मीडिया चैनल में किआ गया निवेश हो, रेवडी की तरह बाँटे गए अवार्ड और पद पाने वाले व्यक्ति हो या संस्थाओ में बैठाये गए खुद के लोग, सबने राहुल की हर हार का ठीकरा पार्टी के कमजोर संगठन और स्थानीय नेताओं पे लगा दिया। जबकि छोटी से छोटी जीत को बड़ा करके दिखाया गया।लेकिन 2009 के बाद सोशल मीडिया के जमाने मे ये 90 के दशक के निवेश बेकार ही जाता दिख रहा है।भट्टा परसौल हो या अध्यादेश फाड़ना,  पंजाब की जीत( अमरिंदर सिंह वाली) या गुजरात मे 3 जातिय आंदोलन के बाद भी बीजेपी की 20 साल की सरकार ने हटा पाना, सबको उपलब्धि बताया गया। इन सबके बीच अमेठी हार का जिक्र ज़्यादा नही किआ गया।तो अब आगे क्या!!आगे की रणनीति पे काम 3 साल से हो रहा है। राहुल फेल है, अब परिवार प्रियंका वाड्रा पे दांव खेलने जा रहा है।प्रियंका को 2019 में लॉन्च करने की तैयारी थी, उनको बनारस से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लडवाने की तैयारी भी थी।लेकिन सोनिया गांधी के करीबी एक गुजरात के नेता ने ये दांव खेलने से मना किआ जोकि प्राणघातक साबित होता। तो प्रियंका को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बना के मामले को रफा दफा किया गया।आप प्रियंका गांधी को फॉलो करो तो आपको एक पैटर्न दिखेगा। वो केवल उत्तर प्रदेश की घटनाओं पे बयान देती दिखेंगी। चाहे चंद्रशेखर रावण से अस्पताल में मिलने जाना हो या कोरोना आपातकाल में 1000 बसों वाली नौटंकी की कोशिश, ताज़ा मामला ब्राह्मण समाज मे रोष फैलाने को लेके देखा जा सकता है। 2 जुलाई को प्रयागराज की ब्राह्मण हत्या को मीडिया में बहुत हाईलाइट किया गया, हालांकि 15 दिन में सब मुस्लिम आरोपी पुलिस ने पकड़ लिए।कांग्रेस की सोंची समझी रणनीति है कि बिना उत्तर प्रदेश के लोकसभा नही जीता जा सकता तो सारा फोकस वह की किआ जाए।प्रियंका योगी सरकार पे निशाने लगती रहती है। कांग्रेस कार्यसमिति में अधिकांश लोग आपराधिक छवि वाले रखे गए है। पहली बार दांव गोरखपुर में जापानी बुखार पे खेला गया था, जिसपे योगी ने सांसद रहते बहुत काम किया था । पिछले साल से कम केस होने पे भी मीडिया ने दिन रात सरकार का बलात्कार किया था।CAA के नाम पे दंगे भड़काने की कोशिश की गई , विकास दुवे एनकाउंटर पे ब्राह्मण समाज को, भीम ऑर्मी की सहारे दलित समाज को भड़काने की कोशिश हो रही है।अगर योगी आदित्यनाथ जैसा व्यक्ति नही होता तो उत्तर प्रदेश 2 सालो में कई बार जल चुका होता चाहे राम मंदिर का मुद्दा हो या CAA विरोधी उग्र प्रदर्शन या कोरोना के टाइम दिल्ली बॉर्डर से प्रवासी मजदूर सीमा पे भेजने का । लेकिन योगी सरकार ने ये सब ठीक से संभाला।
आने वाले 2 साल उत्तर प्रदेश पे और खास कर योगी आदित्यनाथ पे बहुत भारी होंगे, जातिगत आंदोलन किये जायेंगे, गलत मीडिया रिपोर्टिंग से सरकार को घेरा जाएगा( जैसा कि फौज़ी तेज बहादुर , गुजरात की हिमे गॉर्ड सुनीता यादव और बिहार पल टूटने पर हम देख चुके है)। दलितों पे अत्याचार का नैरेटिव बनाया जाएगा,भीम ऑर्मी दलित आंदोलन करेगी। ब्राह्मण संगठन जिनका आपने नाम नही सुना होगा सक्रिय होंगे और योगी को ठाकुर बताएंगे साथ ही ब्राह्मण विरोधी। सहयोगी सपा यादव और ओबीसी को भड़काने में कोई कसर नही छोड़ेगी। अजित सिंह जाट आंदोलन की तैयारी करेंगे ।व्यापारी और बनियों को GST के नाम पे भड़काया जाएगा।कुछ गरीब लोगों की भुखमरी की खबर इंटरनेशनल मीडिया दिखाए, कुछ शव कंधे पे दिखे, कुछ गाय गौशाला में बीमार हो जाये, कुछ बच्चों को शोषण सरकारी संस्थानों में, अस्पतालों की अव्यवस्था हो, गॉव में बिजली की समस्या ,हर किसी पे मीडिया रिपोर्ट्स की सिरीज़ बनेगी।अब तक के नेहरू गांधी परिवार के सारे निवेश को एक साथ इस्तेमाल किया जायेगा, क्योंकि राहुल के बाद प्रियंका के फैल होने का मतलब है कि दरबारियों के पेट पे हमेशा के लिए लात पड़ना।अपनी रोजी रोटी बचने की कवायद में 2022 से पहले उत्तर प्रदेश को हर तरह से निशाना बनाया जाएगा।
उम्मीद है योगी सतर्क रहें और ये सब अच्छे से संभाल ले।

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