बिहार में जून के महीने में हुए दो धमाकों ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की नींद उड़ा दी थी. पहले बांका फिर दरभंगा रेलवे स्टेशन पर धमाका लेकिन 17 जून को हुए दरभंगा पार्सल ब्लास्ट का मामला शुरूआत में जितना मामूली दिख रहा था, अब उसके पीछे उतनी ही बड़ी साजिश लग रही है।

दरअसल ब्लास्ट के तार पाकिस्तान से जुड़ रहे हैं और इसके पीछे वहां की ख़ुफ़िया एजेंसी ISI की साजिश भी सामने आ रही है।  इस मामले में तीन गिरफ्तारियां 25 जून को हुईं। दो गिरफ्तारी उत्तर प्रदेश के शामली से हुईं। शामली के कैराना से हाजी सलीम कासिम और कफील की गिरफ्तारी हुई। कफील, कासिम का बेटा है। सिकंदराबाद से जो पार्सल दरभंगा भेजा गया था, उस पर दिया गया मोबाइल नंबर शामली के कैराना कस्बे के कफील का ही था। वहीं सिकंदराबाद से तेलंगाना एटीएस ने एक गिरफ्तारी की है। यह ISI का हैंडलर बताया जाता है। साथ ही ये भी खबर है कि इस ब्लास्ट के लिए करोड़ों रुपयों की फंडिंग हुई है।  

दरअसल केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के बाद दरभंगा पार्सल ब्लास्ट केस में NIA ने एफआईआर दर्ज कर जांच को अपने जिम्मे लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। इसकी गंभीरता को देखते हुए जांच का जिम्मा एनआईए को सौंपने का फैसला लिया गया। दरभंगा जंक्शन पर पार्सल में हुए ब्लास्ट के पीछे बड़ी आतंकी वारदात का अंदेशा जताया गया है। एफएसएल की जो रिपोर्ट बिहार एटीएस को सौंपी गई है, उसमें कई बातें बताई गई हैं। यह भी जानकारी दी गई है कि इसमें हाईडेन सिटी केमिकल बम था। इस बम को कपड़े के बंडल में रखा गया था। कपड़े की गांठ में होने के कारण इस केमिकल से बड़ा धमाका नहीं हुआ। कपड़े की इस गांठ का पार्सल तेलंगाना के सिकंदराबाद स्टेशन से बुक किया गया था। पार्सल को दरभंगा का मोहम्मद सुफियान रिसीव करने वाला था। हैरत की बात यह है कि इस मोहम्मद सुफियान का कुछ अता-पता नहीं है।

बिहार एटीएस, यूपी एटीएस के साथ तेलंगाना एटीएस भी संयुक्त रूप से मामले की जांच कर रही थी। दरभंगा रेलवे स्टेशन पर 17 जून को हुए धमाके ने एक बड़ी आतंकी साजिश को नाकाम कर दिया था।

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