धर्मान्तरण का नंगा नाच इस देश मे सदियों से खेला जा रहा हैं । जहाँ अरब से उठा एक धर्म ऐसा बना जिसने इस पृथ्वी पर धर्मान्तरण का एक नंगा और विभत्स खेल खेला । खून की नदियां बहाई सिर्फ इसलिए कि उनकी कौम की संख्या बढ़नी चाहिए और यह पूरी धरती इस्लामिक होनी चाहिए । अरब से उठे इस झंझावात के कारण आज मुसलमानों के दुनिया मे 56 से अधिक देश हैं ।
इस धर्म को बढ़ाने का और खून बहाने का काम गाजी नाम की पदवी ने किया हैं । जिसे प्राप्त करने के लिए इस्लाम के किसी भी अनुयायी ने कोई कोर – कसर नही छोड़ी । हजारों महिलाओं का बलात्कार किया गया तो हजारों बूढों , बच्चो को काट दिया गया । लाखों की संख्या में लोगो को डर से इस्लाम मे दीक्षित किया गया ।
इससे पहले भी एक धर्म बना था ईसाई , जिसके अनुयायी आज पूरे विश्व में सबसे ज्यादा हैं । ईसाई धर्म मे बिल्कुल इस्लाम के भाँति ही फैला हैं । ईसाइयत के हाथ भी लाखों लोगो के खून से सने है । हजारों बेटियों के शीलभंग से विभूषित हुए हैं । आज भी हमारे आस पास और पड़ोस में ईसाइयत की गतिविधयां बड़े ही जोर शोर से चल रही हैं ।
आज भी हमारे देवी देवताओं का मजाक बनाया जा रहा हैं और हम खुल कर हंस रहे हैं उस मजाक पर । भारत मे धर्मान्तरण का ये खेल आज भी खेला जा रहा हैं । आज भी हमारे पास की किसी गली में , किसी घर मे आज भी धर्मान्तरण की नींव डाली जा रही हैं । आज भी हमारी आंखों के सामने हजारों की संख्या में हिन्दू अपने धर्म से विमुख हो रहे हैं ।
हजारों की संख्या में अपने धर्म को छोड़कर दूसरे में धर्म मे दीक्षित हो रहे । ये देखकर हमे अच्छा लगता होगा या हमे लगता होगा कि ये तो उसका निजी मामला है , तो मुझे क्या हैं ?
क्यो मैं उसे रोकूँ ?
ऐसा सोचने वाले भूल जाते हैं कि जब उनके परिवार का कोई सदस्य किसी दूसरे परिवार का सदस्य बनता हैं तो इसका मतलब ये नही हैं कि हमारी संख्या कम हो गई हैं , जबकि इसका मतलब हैं कि हमने एक बहुत ही खतरनाक दुश्मन को जन्म दिया हैं ।
जो कल हमारी ही मौत का कारण बनेगा । कल वही बिल्कुल काला पहाड़ ( काला पहाड़ के बारे में जल्द ही लेख लिखूंगा ) बनकर हमें धर्मान्तरित करने आएगा । कल यही तुम्हारी इज्जत को सरेआम लुटते हुए अपनी आंखों से देखेगा और अट्टहास करेगा ।
आपके घर मे धर्मान्तरण की नींव तो उसी दिल डाल दी जाती हैं , जब आप अपने बच्चे का एडमिशन किसी कान्वेंट स्कूल में करवाते हैं । उसी दिन से हमारे घर में एक सेकुलर पलने लगता हैं। कान्वेंट स्कूल से वह सीखता हैं कि यीशु ही सबसे महान हैं और ईसाइयत से निकले वैज्ञानिकों ने ही आज की ये खूबसूरत आधुनकि दुनिया का निर्माण किया हैं ।
आज कि जिंदगी को आरामदायक बनाने वाले आविष्कार भी उसी कौम के वैज्ञानिकों ने किया हैं और लगातार ऐसा पढ़ते और सोचते हुए वह बालक क्रिसमस मनाने लगता हैं , अंग्रेजी नव वर्ष मनाने लगता हैं ।
इसमें बालक की गलती नही हैं , गलती हैं हमारी जो हमने हमारे गौरवशाली अतीत के बारे में उन्हें कभी बताया नही । हमने कभी उन्हें बताया नही की प्रभु श्री राम के समय विमान थे और नौसेना थी । हमने कभी उन्हें बताया कि नही की महर्षि भारद्वाज द्वारा लिखे वैमानिक शास्त्र में ऐसे – ऐसे विमानों का वर्णन हैं ,जो हर मौसम में चल सकते थे ।
हमने उन्हें कभी बताया नही की हमारे देश मे मर्करी ( पारा ) से भी विमानों को चलाने का इतिहास हैं , जो आज के आधुनिक विज्ञान के लिए असम्भव लगता हैं , वह उस काल मे सम्भव था ।
हमने उन्हें कभी बताया नही की हमारे देश मे ऐसे भी विमान मौजूद थे जो गायब हो सकते थे । जो सिर्फ कल्पना मात्र लगते हैं । ये तो सिर्फ एक ही पुस्तक के बारे में हैं । हमने उन्हें कभी नही बताया कि इस दुनिया मे सबसे पहले पूर्ण वैज्ञानिक तरीके से अक्षर ज्ञान को हमने ही ईजाद किया था ।
हम ही थे वे जिन्होंने पूर्णतः वैज्ञानिक व्याकरण अष्टाध्यायी जैसे ग्रन्थ लिखे थे । हम ही उस भाषा के जनक जिससे विश्व की सभी भाषाओं का जन्म हुआ है ।
हमने कभी भी अपने बच्चो को यह बताना उचित नही समझा कि हमारे ही देश मे सबसे पहले प्लास्टिक सर्जरी का आविष्कार हुआ था । हमारे ही देश के वैज्ञानिक सुश्रुत ने सफलतापूर्वक उस समय दिमाग के अंदरूनी हिस्सो का इलाज सफलतापूर्वक किया था ।
हमने कभी नही बताया कि दुनिया को योग जैसा पूर्णतः वैज्ञानिक और शरीर को बिना दवा के स्वस्थ रखने का माध्यम देने वाले हम ही थे ।
हमने उन्हें कभी नही बताया कि बिना साइड इफेक्ट के भी दवा दी जा सकती है और बीमारी का पूर्णतः समाधान किया जा सकता हैं , ऐसी आयुर्वेदिक पद्धति हमने ही ईजाद की थी ।
क्या – क्या लिखू , कितना लिखूं , लिखने के लिए समय और पढ़ने के लिए पाठक कम पड़ जाए इतने गौरवशाली हैं हम ।
जब हम उन्हें बताएंगे कि हम कितने गौरवशाली हैं तो यकीन मानिए की वह आपका आदर करेगा , इस देश से वृद्धाश्रम जैसी कुरीतियां खत्म हो जाएंगी और बलात्कार जैसे कलंक हमेशा के लिए मिटे जाएगा ।
हमें उन्हें बताना होगा कि गुरु तेगबहादुर , पंच प्यारे, गुरु गोविंद सिंह जैसे गुरु परम्परा के वाहकों का कत्ल सिर्फ इसलिए कर दिया गया कि उन्होंने अपने धर्म को छोड़ने से मना कर दिया था ।
हमे उन्हें बताना होगा कि जिन मुगल शासकों को बारे में तुम्हे ये पढ़ाया जाता हैं कि वे महान थे उन्होंने ही इस देश मे सिर्फ अपने धर्म को बढ़ाने के लिए खून की होली खेली हैं , खून की नदियां बहाई हैं ।
उन्हें बताना होगा कि हमारे पास नालंदा , विक्रमशिला जैसे गौरवशाली अतीत थे । जिंसमे पढ़ने के लिए हजारों की तादाद में विदेशी विद्यार्थी पढ़ने आते आते थे । हमें उन्हें बताना होगा कि नालंदा को हमारे ऊपर शासन करने आए खिलजियों ने आग के हवाले करके हमारी समृद्ध विरासत को जमीदोंज कर दिया था ।
हमे उन्हें महाराणा प्रताप , क्षत्रपति शिवजी महाराज के अथक संघर्ष से परिचय करवाना होगा । उन्हें ये भी बताना होगा कि इस देश मे 40000 औरतों ने , शीलभंग नही हो इसलिए आग की लपटों को सहर्ष स्वीकार किया था । जिसे हम आज चितौड़ का जौहर के नाम से जानते हैं ।
हमे उन्हें बताना होगा कि धर्मान्तरण के कारण ही हमारी सीमाएं बहुत ही छोटी हो गई हैं । उन्हें बताना होगा कि हमारे गौरवशाली अतीत में हमारी सीमाएं ईरान , इराक , कंधार , थाईलैंड , श्रीलंका , पाकिस्तान , म्यांमार , और यूरोप के अनेक देशों तक फैली थी और पूरे विश्व में हम ही थे । उन्हें बताना होगा कि हमने कभी निर्दोषों का खून नही बहाया ।
हमने तो इस विश्व को एक परिवार माना है और ” वसुधैव कुटुम्बकम ” का जाप किया हैं ।
उन्हें इस बात से भी अवगत करवाना होगा कि आज जैसे हमे किसी के धर्म परिवर्तन करने से कोई फर्क नही पड़ता उस समय भी नही पड़ा था और इसी के कारण हम काट दिए गए , अपने शरीर से , अपनी जड़ो से ।
उन्हें बताना होगा कि हम ये सब बातें इसलिए भूल गए क्योकि धर्मान्तरण का खेल सिर्फ खून से ही नही खेला गया था बल्कि यह मानसिक और बौद्धिक स्तर तक खेला गया है ।
उन्हें ये भी बताना होगा कि आज देश मे जो अराजकता दिखती है , अनेक हिस्सो से अलग देश और अलग राज्य की मांग उठती हैं , एक टिप्पणी पर खून बहा दिया जाता हैं , एक कार्टून बना ओर गला काट दिया जाता हैं , ये सब उसी धर्मान्तरण के दुष्परिणाम हैं ।
हमे उन्हें ये भी बताना होगा कि वह तुम ही हो , बस तुम ही जो अपने धर्म के लिए कृष्ण और राम बन सकते हो , वह तुम ही जो अपने गौरवशाली अतीत को महाराणा प्रताप और क्षत्रपति शिवजी महाराजा की तरह पुनः स्थापित कर सकते हो ।
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