कांग्रेस ने आज़ादी के बाद से ही अपनी छवि को सेक्युलर बनाए रखा और सेक्युलर भी ऐसा कि हिन्दुओं के मुद्दों पर एक किनारा पकड़ लेना और विशेष समुदाय के मुद्दों पर मुखर होना, लेकिन आज इन्हीं कर्मों की वजह से कांग्रेस की दशा दिन ब दिन खराब होती जा रही है. नतीजा संसद में प्रमुख विपक्षी पार्टी बनने के भी लाले पड़ रहे हैं, राज्यों में सरकार बची नहीं और जहां बची थी वहां भी अब गए तब गए वाले हालात हो गए है.
इसी बीच मध्यप्रदेश कांग्रेस ‘राम और रमजान’ पर बंट गई है. जी हां ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राजनीति पर जोर देने वाली मध्य प्रदेश कांग्रेस के एक मुस्लिम विधायक को पार्टी का यह स्टैंड रास नहीं आया. जिसके बाद मध्य प्रदेश की सियासत और गरमा गई है. दरअसल एमपी कांग्रेस ने रामनवमी और हनुमान जयंती पर राज्य भर के सभी कांग्रेसी पदाधिकारियों, सांसद-विधायकों और नेताओं को इन त्योंहारों को भव्यता से मनाने के निर्देश दिए हैं। ऐसे में एमपी कांग्रेस के इकलौते मुस्लिम विधायक आरिफ मसूद का दर्द छलक पड़ा और वे इसका विरोध करने लगे.
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने पार्टी की ओर से रामनवमी और हनुमान जयंती को भव्यता के साथ मनाने के लिए जारी हुए पत्र पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि रमजान से परहेज क्यों किया जा रहा है. पत्र पर सवाल उठाते हुए आरिफ मसूद ने कहा कि कांग्रेस का हिंदुत्व वर्ग हमेशा अच्छे से रामनवमी और हनुमान जयंती मनाता है. इसे मनाने के लिए पत्र जारी करना राजनीतिक दल के लिए ठीक नहीं है. ऐसा परिपत्र रामनवमी और हनुमान जयंती के लिए जारी हो सकता है तो रमजान को क्यों छोड़ दिया. इस पर मेरा एतराज है. बता दें आपको एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की तरफ से 2 अप्रैल को निर्देश जारी कर पार्टी कार्यकर्ताओं को 10 अप्रैल और 16 अप्रैल को रामनवमी और हनुमान जयंती के अवसर पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया गया।
इधर बीजेपी नेता और मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर हमला बोलते हुए कहा कि, “कांग्रेस विधायक का ऐतराज वाजिब है. आरिफ मसूद को आत्मचिंतन करना चाहिए. कांग्रेस का मुस्लिमों से संबंध सिर्फ वोट तक ही सीमित है. बीजेपी का डर दिखाकर वोट लेना इतना ही सिर्फ कांग्रेस जानती है.” उन्होंने कहा, “इफ्तारी करने वाले दिनों में कांग्रेस के नेता मंदिर जा रहे हैं. यही तो अच्छे दिन हैं.”
माना जा सकता है कि ऐसा धार्मिक आयोजन कर कांग्रेस मध्यप्रदेश में हिन्दुओं में अपना जनाधार और मजबूत करना चाहती है, ताकि राज्य में अगले साल नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को इसका फायदा मिल सके. क्योंकि मध्य प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने के बाद भी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार अपनी सरकार को बचा नहीं पाई थी, ऐसी स्थिति में अब कांग्रेस को हिंदुत्व का ही सहारा दिख रहा है जिसके जरिये 2023 के विधानसभा चुनाव में वो सत्ता तक पहुंच सके.
लेकिन इससे इतना तो साबित हो गया कि कांग्रेस पार्टी कितने भी हाथ-पैर मार ले लेकिन वो विशेष समुदाय के प्रेम से खुद को दूर नहीं कर सकती. वह अपनी मुस्लिम समर्थक वाली साझी विरासत को किसी भी कीमत पर छोड़ नहीं सकती।
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