इस वीडियो के माध्यम से समझें। शेष कड़ियां जल्द जोड़ूंगा।
अजमल कसाब सबको याद होगा। अगर अजमल कसाब का भी इनकाउंटर हो गया होता तो आज एक नया राजनीतिक हथियार के रूप में हिन्दू आतंकवाद का नाम आपके हमारे बीच होता।
मधुबनी नरसंहार में आरोपियों को कड़ी सुरक्षा दी जाए ताकि सत्य बाहर आ सके।
शायद राजनीतिक वजहों से बिना किसी आधार के सिर्फ आरोपी होने पर इनकाउंटर की बात करना कहीं ना कहीं षडयंत्र को दबाने की कोशिश से की गई हो।
हम सुरु से ही कह रहे थे अगर मामला जातिगत होता तो ब्राह्मण, राजपूत, दलित अपराधी नहीं होते फिर भी जान बूझ कर ब्राह्मण बनाम राजपूत करने की कोशिश की गई जो असफल रही और इसका श्रेय तमाम पक्ष विपक्ष के राजपूत समाज के नेताओं को जाता है जिन्होंने समझदारी का परिचय दिया है अपने बयानों में एक आध को छोड़ दिया जाए तो।
बड़ा आसान है अपराधी राजपूत, ब्राह्मण और दलित समाज से है तो अपराधियों को जातिगत बता देना पर यही राजनीतिक भेड़िए कोई ईमान वाला बुहरण वानी होता तो भटका हुआ नौजवान बता देते।
धिक्कार है ऐसे लोगों पर जो हर बात पे जाति कार्ड खेलते हैं
जय सनातन एकता।
जय श्री राम।
आपका अपना।
अमित कुमार सनातनी।
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