पाकिस्तान द्वारा कैसे भारत के खिलाफ चलाया जा रहा है मनोवैज्ञानिक युद्ध

पश्चिमी देशों के सेक्युलर बुद्धिजीवी और आतंकवाद को समर्थन करने वाले देश जैसे पाकिस्तान द्वारा मनोवैज्ञानिक युद्ध के जरिए दुनिया में मानवता के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और अलग अलग फ्रंट पर आतंकवादी संगठनो को सहायता दी जा रही है .
पाकिस्तान को आतंकवाद और आतंकवादी संगठनों को सहायता करने की वजह से जून २०१८ में एफएटीएफ ( FATF ) की ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था इसी कारण के चलते पाकिस्तान पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगे हुए थे जिसका नुकसान पाकिस्तान को ही उठाना पड़ रहा था .
जब कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया गया था तब पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ( ISI ) ने एक मनोवैज्ञानिक युद्ध करने का फैसला लिया था, जिसमें पाक प्रायोजित आतंकवादी संगठन की छबि को सुधारने एवम् उन संगठनो को किसी भी प्रकार की पाकिस्तान द्वारा मदत दी जाने वाली खबरों को गलत ठहराने का प्रयास करना ये उद्देश्य था ताकि FATF द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध से उन्हें छुटकारा मिल सके .
अब मनोवैज्ञानिक युद्ध के लिए इन्होनें पहले जितने आतंकी संगठन है उनके नाम बदलना शुरू कर दिए .
दरअसल पाकिस्तान ये चाहता है कि आतंकवादी संगठन के इस्लाम से ताल्लुकात होने से वजह से ये कश्मीर की लड़ाई एक धार्मिक लड़ाई होती जा रही थी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI इसी के चलते अरब देशों से मदत नहीं जुटा पा रही थी और इस लिए आतंकवादी संगठन के नाम बदलाव किए गए जैसे एक पाक समर्थित आतंकवादी संगठन “लश्कर-ए-तैयबा” जो सक्रिय संगठन है, कश्मीर घाटी में इसका धार्मिक नाम बदल कर उसे “द रेजिस्टेंस फोर्स” [ The Resistance Force ] नाम दिया गया. दुनिया को ये लगे कि कश्मीर की लड़ाई वहां के लोगो ने आजाद होने के लिए की है. इसी तरह “जैश-ए-मोहम्मद” आतंकी संगठन को “मजिस वुरासा-ए-शुहुदा जन्नू वा कशीमीर” कर दिया और इस आतंकी संगठन के झंडे मै लिखे अल-जिहाद को बदल कर अल-इस्लाम किया गया.
आतंकी संगठनों के नामों में बदलाव करने की ये स्ट्रेटजी पाकिस्तान ने FATF की ग्रे लिस्ट से बाहर होने के लिए खेली है और साथ में ही मनोवैज्ञानिक युद्ध को वो कश्मीर में निरंतर जारी रख सके .
इस दुनिया में मानवता के नाम पर आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है दरसअल पाकिस्तान ये चाहता है कि पश्चिमी देशों के बुद्धिजीवियों की नजर इस मामले पर पड़े और इसे दुनिया के सामने फिर लाया जाए और भारत पर दबाव बनाया जाए.
पाकिस्तान आर्मी की की एक इनफॉर्मेशन वारफेयर विंग है ISPR ( Inter-Services Public Relations ) जिसका काम है भारत के खिलाफ गलत खबरें चलाना और इस के लिए पाकिस्तान आर्मी हर साल करोड़ो रुपयों को खर्च कर रही है.
हमें ये पता है कि इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष को दुनिया में एक धार्मिक लड़ाई के तौर पर देखा जा रहा है जहां मध्य पूर्व इस्लामिक देश पूरी तरह से फिलिस्तीन आतंकियों को हथियार और प्रशिक्षण दे रहे हैं और इनफॉर्मेशन वारफेयर के लिए दुनिया के कई सेक्युलर बुद्धिजीवी और मीडिया ने मनोवैज्ञानिक युद्ध और सूचना युद्ध के बारे में हमेशा इजरायल और फिलिस्तीन की सोशल मीडिया पर चर्चा को कंट्रोल कर रखा है.
मनोवैज्ञानिक और सूचना युद्ध 21वीं सदी का सबसे बड़ा घातक हथियार साबित हो रहा है जिसे भारत की सरकार ने ठीक तरीके से समझा और काउंटर करने के लिए पर्याप्त कदम उठाए तो कुछ हद तक भारत अपने खिलाफ होने वाले प्रोपोगंडा को कम कर सकता है.
दुश्मन द्वारा चलाए जाने वाले प्रोपोगंडा को काउंटर करना होगा तो आपको उसके खिलाफ दूसरा प्रोपोगंडा बनाना पड़ता है क्योंकि जब आप दुश्मन के प्रोपोगंडा का जवाब देते हैं तब तक गलत सूचना लाखों लोगो के पास पहुंच जाती है और उसका जवाब करना और जहां जहां गलत सूचना गई है वहा पर आप मिस-इनफॉरमेशन को काउंटर नहीं कर सकते क्योंकि लोगों का मन सबसे पहले एक बार जो पहले देखता है और सुनता है उसी पर ज्यादा भरोसा करता है. आपको मिस-इनफॉर्मेशन को काउंटर करने के लिए दूसरा काउंटर स्ट्रेटजी बनाना पड़ता है.
ये दौर ही इनफॉर्मेशन का है अभी ये हम पर निर्भर करता है कि हम कैसे सही तरीके से सही सूचना को अलग अलग माध्यम के जरिये संचालित करे.
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