पेड़ पौधों का महत्व भारतीय दर्शन में प्राचीन काल से ही रहा है भले ही वह पीपल,बरगद,नीम हो या तुलसी या अन्य का औषधीय प्रयोग एवं वैज्ञानिक संरक्षण ओर अनुसंधान हो।वैदिक दर्शन प्रकृति और पर्यावरण संवर्धन का पक्ष रखता है। यह भारतीय दर्शन का अभिन्न अंग रहा है l पर भारतीय दर्शन को दकियानूसी मानने वाला कथित सभ्य समाज 25 दिसंबर को करोड़ों वृक्षों को काटकर प्रकृति का दोहन करता है।जिससे प्रकृति को बहुत बड़ा नुकसान होता है।अब एक और हमारी सनातन वैदिक संस्कृति है।जो पेड़ पौधे वृक्ष लगाकर मानव कल्याण के लिए विज्ञान और अनुसंधान सिखा रही है।दूसरी ओर कथित पश्चिमवाद जो मूर्खता और आडंबर में 25 दिसंबर के दिन इतने सारे वृक्षों को काटने के लिए बढ़ावा देती है जो निश्चित ही मूर्खतापूर्ण कार्य है।अथवा प्लास्टिक के वृक्ष बनाकर उनकी आव-भगत करता है।प्लास्टिक के वृक्ष की आव- भगत जो मूर्खतापूर्ण आडंबर हैl असली पौधों की देखरेख से वायुमंडल शुद्ध होगा।और इन नकली प्लास्टिक के पौधों को बढ़ावा देने से हमारा वायुमंडल अशुद्ध होकर मानव मात्र तो क्या सभी जीव धारियों के लिए हानिकारक हो जाएगा।प्लास्टिक पौधों में भी कोई विज्ञान नहीं है। केवल मूर्खता हैं।विश्व समुदाय को मूर्खता छोड़कर भारतीय जीवन दर्शन को अपनाना होगा l क्योंकि वैदिक दर्शन के अंदर ही संपूर्ण जीव धारियों का कल्याण निहित है।ओर आज सोया हुआ सनातन समाज भी अपनी प्राचीन और उच्च आदर्श को भूलकर इस प्लास्टिक वृक्ष के प्रचलन को बढ़ावा दे कर 25 दिसंबर को बड़े दिन के रूप में मना कर प्लास्टिक के वृक्ष को महत्व देने लग गया है।हे सोए हुए आर्य पुत्रो अपने उच्च संस्कृति के आदर्श को अपनी संतति से साझा करो।ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां विश्व समुदाय को हमारे वैदिक दर्शन से ओतप्रोत कराकर कल्याण और मोक्ष का पथ दिखा सकें। मे संपूर्ण भारतीय दर्शन की ओर से संपूर्ण विश्व का ध्यान इस तरफ आकृष्ट करना चाहता हूं। कि पेड़ पौधों का महत्व समझिए पेड़ पौधों की रक्षा कीजिए । ताकि आने वाली पीढ़ियों को शुद्ध वायु एवं शुद्ध वायुमंडल मिल सके। प्रत्येक दिन को पर्यावरण दिवस के रूप में मनाना होगा।और हमारी वैदिक सनातन संस्कृति का महत्व हमें संपूर्ण विश्व को बतलाना होगा। क्योंकि वैदिक सनातन संस्कृति ही विश्व के सभी मनुष्य को ज्ञान मार्ग पर चला कर मोक्ष तक ले जाने में सक्षम है।वैदिक सनातन सभ्यता ने विश्व को हमेशा ही कठिनाई के समय में ज्ञान मार्ग दिखलाया है। महामारी के इस कठिन समय में भी यदि विश्व नमस्ते,प्रतिदिन यज्ञ,गौ संवर्धन का विज्ञान एवं प्रकृति संरक्षण जो वेदों का आधारभूत दर्शन है उसको अपनाएं तो निश्चित ही विश्व का कल्याण होगा। (यह मेरे निजी विचार है अगर किसी के हृदय को आघात पहुंचता है तो उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं …..गोपाल आर्य)

अखंड ओम नम केवलम

@AkhandOmnaam

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