अखिल भारतीय धर्मसंघ और हिंदू जनजागृति समिति द्वारा ‘हिंदू राष्ट्र अधिवेशन’ संपन्न!
वैधानिक संघर्ष, हिंदू मंदिरों का सरकारीकरण, धार्मिक उत्सवों के दौरान हिंदुओं पर होने वाले आक्रमण, लव जिहाद, धर्मांतरण, आतंकवाद और दंगों जैसी समस्याओं पर गंभीर चर्चा हुई। संत-महंतों और हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों ने हिंदू समाज को एकत्रित कर हिंदू राष्ट्र स्थापना के प्रयासों को गति देने की आवश्यकता पर बल दिया।

         हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा , ‘‘संविधान से ‘सेक्युलर’ शब्द हटाकर भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए। साथ ही, जनसंख्या नियंत्रण, धर्मांतरण प्रतिबंध, गोहत्या प्रतिबंध जैसे कानून लागू किए जाएं। संविधान में अल्पसंख्यकों के लिए किए गए विशेष प्रावधान समाप्त किए जाएं। अन्य धर्मों के देशों में वहां के बहुसंख्यकों के हितों को प्राथमिकता दी जाती है, लेकिन भारत में हिंदू बहुसंख्यक होते हुए भी उनके हितों की उपेक्षा की जाती है। हिंदुओं के साथ अन्याय हो रहा है और उन्हें भेदभावपूर्ण व्यवहार का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए भारत में हिंदू राष्ट्र की स्थापना अनिवार्य है। हिंदू राष्ट्र की विचारधारा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ अर्थात् सर्वसमावेशक है, जिससे संपूर्ण मानवजाति का कल्याण होगा।’’

         मंदिर महासंघ के राष्ट्रीय संघटक श्री सुनील घनवट ने कहा , ‘‘भारत की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकारें केवल हिंदू मंदिरों का अधिग्रहण कर उनकी संपत्ति का उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करती हैं, लेकिन वे मस्जिदों या चर्चों को अपने नियंत्रण में नहीं लेतीं। इसलिए सभी हिंदुओं को एकजुट होकर अपने मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करना होगा। तभी हमारी संस्कृति की रक्षा होगी। साथ ही, मंदिरों की संपत्ति का उपयोग केवल धार्मिक कार्यों के लिए ही किया जाना चाहिए।’’

         हिंदू जनजागृति समिति के उत्तर-पूर्व भारत मार्गदर्शक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळ ने कहा , ‘‘हमारी हिंदू सभ्यता पर सदियों से आक्रमण होते रहे हैं, लेकिन अब पुनरुद्धार का समय आ गया है। काशी और मथुरा की मुक्ति की मांग जोर पकड़ रही है। संभल में नष्ट हुए हिंदू मंदिराें की पुनःस्थापना की मांग की जा रही है, जो एक न्यायोचित मांग है। अब हिंदुओं को लव जिहाद के साथ लैंड जिहाद के विरुद्ध भी संघर्ष करना होगा।’’

श्री रमेश शिंदे राष्ट्रीय प्रवक्ता, हिंदू जनजागृति समिति,

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