भाजपा ने पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले के सल्तोरा विधानसभा सीट से एक मनरेगा मजदूर को टिकट दिया है। जब चंदना बौरी को स्थानीय लोगों से इसकी जानकारी मिली तो उन्हें अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। वह पिछले कई वर्षों से पार्टी से जुड़ी हुई जरूरत हैं, लेकिन चुनाव लड़ने के लिए उन्हें कभी टिकट भी मिल सकता है, इसकी उन्होने कभी कल्पना भी नहीं की थी। उनके पति भी दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और जिस दिन मेसन का काम मिल जाता है तो 400 रुपये कमा लेते हैं। बारिश के दिनों में तीन बच्चों वाले परिवार का गुजारा मुश्किल हो जाता है। ऊपर से बुजुर्ग माता-पिता की भी जिम्मेदारी है। लेकिन, बीजेपी जैसी पार्टी से टिकट मिला है तो चंदना के जीवन में अभी काफी कुछ बदलाव आ गया है।

अपने घर में भी टॉयलेट हो यही सपना है चंदना का:

30 साल की चंदना और उनके पति सरबन दोनों के पास मनरेगा जॉब कार्ड है, लेकिन बच्चों की देखभाल के लिए सल्तोरा सीट से भाजपा प्रत्याशी पहले ज्यादातर समय घर के कामकाज और बच्चों की देखभाल में ही बिताती थीं। कुछ समय पहले तक उनका एक ही सपना था कि उनके घर में भी एक टॉयलेट बन जाए। वो कहती हैं, ‘हमें शौच के लिए पास के खेतों में जाना पड़ता है। पिछले साल हमें (प्रधानमंत्री) आवास योजना-ग्रामीण के तहत 60,000 रुपये का पहला इंस्टॉलमेंट मिला, जिससे दो कंक्रीट रूम बनाए।’वो माध्यमिक तक पढ़ी हुई हैं, जबकि इनके पति को 8वीं में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। खुद को टिकट दिए जाने के बारे में वो कहती हैं, ‘8 मार्च को यहां के लोगों ने मुझे आकर बताया। उन्होंने टेलीविजन चैनल पर यह समाचार देखा था….मैं गरीब घर की हूं। मुझे टिकट देकर बीजेपी ने दिखाया है कि एक नेता बनने के लिए उसकी आर्थिक हैसियत मायने नहीं रखती।’

‘मोदीजी पैसे भेजते हैं, लेकिन टीएमसी के लोग खा जाते हैं’
वो बांकुरा जिले में बीजेपी की वरिष्ठ सदस्य हैं, लेकिन कभी अपने लिए वोट मांगेंगी ऐसा नहीं सोचा था। आजकल वह सुबह 8 बजे भगवा रंग की ‘कमल’ छाप वाली साड़ी पहनकर मेटाडोर से चुनाव प्रचार के लिए निकल जाती हैं। कभी-कभी बेटा जिद करता है तो उसे भी साथ ले जाना पड़ता है। नहीं तो उन्हें ससुराल वालों के पास छोड़ जाती हैं। प्रचार के दौरान वो सत्ताधारी पार्टी के बारे में कहती हैं, ‘तृणमूल भ्रष्ट है।…..इसने विकास का कोई काम नहीं किया है, मोदीजी ने कल्याणकारी योजनाओं के लिए जो पैसे भेजे थे उसे भी खा गई है। शौचालय से लेकर आवास योजनाओं तक में लोगों को तृणमूल को कट मनी देना पड़ता है।’ यह सीट अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व है और यहां से पिछले दो बार से टीएमसी के स्वपन बौरी लगभग 10,000 वोटों से जीतते रहे थे। लेकिन, इसबार ममता बनर्जी ने संतोष कुमार मंडल को टिकट दिया है।

सत्य की तालाश में
एक देशभक्त लेखक
अमित कुमार।

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