हिंदी अनुवाद – योगिनी बर्डे

तिब्बत के पठार से परे वर्षा छाया क्षेत्र है। हिमालय का यह ऊँचा पठार तिब्बत के उत्तर में टकलामकान मरुस्थल और उत्तर पूर्व में गोबी मरुस्थल तक फैला है। गोबी और गोबी से परे जो घासभूमी है वह सारा प्रदेश मंगोलिया के नाम से जाना जाता है । तीव्र ठंढ, कठोर ग्रीष्मकाल, ठंढ के मौसम मे बर्फबारी और गर्मियों में थोड़ी बारिश … ऐसे मौसम की वजह से, यह देश कृषि के लिए अनुकूल नहीं । प्राचीन काल से यहाँ के लोग घोड़ों का निर्यात करते रहे हैं और चीन से वस्त्र और कृषि उत्पादों का आयात कर रहे हैं। यहां जीवन सरल नहीं । इस क्षेत्रने जीवित रहने के लिए लगातार संघर्ष करना सिखाया | शायद इसी वाजह से इस देश ने कठोर और क्रूर योद्धाओं को जन्म दिया।

चीनी सम्राट ने मंगोलों के निरंतर आक्रमण को रोकने के लिए चीन की उस प्रसिद्ध दीवार को खड़ा किया। इस दीवार ने कई हमलों को रोका। लेकिन मंगोलिया के चंगेज खान ने दीवार को पार किया और चीन पर आक्रमण किया। चंगेज खान ने चीन से लेके यूरोप तक जमीन पर कब्जा कर लिया और दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य स्थापित किया। मृत्यु के बाद, उनके राज्य को उनके चार बेटों मे विभाजित किया ।

कुबलई खान, जो की चंगेज खान का पोता था, इसने १३ वीं शताब्दी में राज्य का विस्तार किया | चीन, कोरिया और तिब्बत पर कब्जा कर लिया। उन्होंने चीन में युआन राजवंश की स्थापना की। हालांकि, तिब्बत पर कुबलई खान के हमले ने एक अलग ही मोड़ ले लिया। उन्होंने तिब्बत जीता, लेकिन बौद्ध गुरु – ड्रोगन चोग्याल फाग्पा – की शिक्षाओं ने उनका दिल जीता। कुबलाई खान ने उन्हें अपना राजगुरू नियुक्त किया और तिब्बती शासन को बौद्ध संघ को सौंप दिया। कुबलई खान की मृत्यु के बाद, चीन मंगोलों से स्वतंत्र हो गया, लेकिन तिब्बत बौद्ध संघ की छत्रछाया में रहा |

इस दौरान, उज्बेकिस्तान में मंगोलों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था । तैमूरलंग का जन्म १४ वीं शताब्दी में उज्बेकिस्तान में हुआ था। तैमूर चंगेज खान के किसी पूर्वज का वंशज था । तैमुरने चंगेज खान का पाठ सीखकर एक एक गाँव जीतना शुरू किया। और चंगेज की तरह, गाँव जीतने के बाद गाँव की सुरक्षा के लिए खड़े होने वालों को मारने की परंपरा जारी रखी। उसने फारस, इराक, सीरिया, तुर्की, जॉर्जिया के कई शहरों पर हमले  किये । १३९८ में, तैमुरने दिल्ली पर हमला किया । उस समय दिल्ली पर तुगलकों का शासन था । दिल्ली और हिरत में मारे गए लोगों के कंकालो के ढेर का वर्णन तत्कालीन इतिहास  मे पाएँ जाते है । अनुमान है कि तैमुरने अपने कार्यकाल के दौरान दुनिया की आबादी 5% कम कर दी थी।

इस क्रूरकर्मा तैमूर का पोते था बाबर । बाबरने उज्बेकिस्तान के एक छोटे से हिस्से में शासन किया। उसने पानीपत की पहली लड़ाई में इब्राहिम लोधी को हराया और मुगल वंश की स्थापना की । बाबर का सेनापती – मीर बाकीने अयोध्या के राम जन्मभूमी मंदिर को गिराने का काम किया था । बाबर का बेटा, हुमायूँ, शेरशाह सूरी से हार गया, तो उसने फारस में शरण ली | १५ साल बाद हुमायूँने शेर शहा सुरी के वंशजोंसे आगरा सिंहासन वापस जीत लिया । मुग़ल साम्राज्य भारत में तब बस गया जब उसके बेटे अकबर ने हेमचंद्र को पानीपत की दूसरी लड़ाई में हराया |

फारस में कई वर्षों तक रहनेसे मुगलो पर फारसी संस्कार थे । इसलिए, मुगल शासन के दौरान, मंगोलिया कि नही, पर फारस की संस्कृती का आगमन हुआ । अकबर के शासन काल में मुगलों पर भारतीय दर्शन के संस्कार होने लगे थे। अकबर ने हिंदू, जैन और इस्लाम धर्म के शिक्षाओं के माध्यम से दीन-ए-इलाही नामक एक नए धर्म की स्थापना की। इसी कारण प्रयाग क्षेत्र का नाम बदलकर ‘इलाहाबाद’ रख दिया था । अकबर के बाद उसके बेटे जहाँगीर और पोते शाहाजहाँ ने भारत पर शासन किया । शाहजहाँ का सबसे बड़ा बेटा, दारासुखो, पूरी तरह से भारतीय बन गया था । उन्होंने हिंदू धर्म, दर्शन का अध्ययन किया और ५२ उपनिषदों का फारसी में अनुवाद किया। वास्तव में, सबसे बड़े पुत्र होने के नाते दारासुखो मुगल सम्राट बनता था, लेकिन छोटे भाई औरंगजेब ने अपने सभी भाइयों को मार डाला और अपने पिता को कैद कर, मुघल तख्त पर विराजमान हो गया । औरंगजेब ने कई वर्षों तक शासन किया, लेकिन उसकी मृत्यु के बाद मुगल साम्राज्य पूरी तरह से नष्ट हो गया।

आइए देखें की असली मुगल वंशज क्या कर रहे हैं। अब तक हमने कुबलाई खान ने बौद्ध धर्म अपना लिया था, वहाँ तक देखा । उन्होंने तिब्बत के बौद्ध भिक्षु को अपना राजगुरु बनाया था। तभी से, बौद्ध धर्म तिब्बत से मंगोलिया में फैल गया ।

इससे कई सदियों पहेले भारत से तिब्बत में सैकड़ों बौद्ध ग्रंथ पहुँचे  चुके  थे। वे सभी संस्कृत भाषा मे थे। साथ ही कुछ संस्कृत ग्रंथों के चीनी अनुवाद भी तिब्बत में उपलब्ध थे । इन सभी संस्कृत और चीनी ग्रंथों का तिब्बती में अनुवाद किया गया था । इन ग्रंथों के समुच्चय को कंजूर और तंजूर कहा जाता है । कंजूर के 108  ग्रंथों में, बुद्ध के वचनो का निरूपण किया गया है, जबकि तंजूर के 226 शास्त्रीय ग्रंथों में, दर्शन, व्याकरण, चिकित्सा, गणित, संस्कृत शब्दकोश जैसे कई विषयों का विवरण मिलता है । यह खंड १८ वीं शताब्दी में मंगोलिया  में अनुवादित किया गया था। यह अनुवाद बौद्ध भिक्षुओं, वैज्ञानिकों, शिक्षकों और गणितज्ञों द्वारा किया गया था। इस अनुवाद का काम करीबन २५  साल चल रहा था। इस काम से मंगोलिया की भाषा और लिपि दोनों में सुधार हुआ। शास्त्रीय शिक्षा पर तंजूर का प्रभाव रहा है । तंजूर की प्रत्येक पुस्तक मोटे चीनी कागज पर, ऊर्ध्वाधर पंक्तियोमे, सुंदर लाल अक्षरों में लिखी गई है। हर पृष्ठ पर सुंदर चित्र हैं और इन कागजों को चंदन की पतली लकड़ी से बाँधा गया है ।  मंगोल तंजौर को यूनेस्को ने ‘विश्व दस्तावेज’ (यूनेस्को की विश्व दस्तावेजी विरासत) के रूप में मान्यता दी है ।

मोंगोल घर का पूजा घर

आज मुगलों के घरों में बुद्ध का मंदिर दिखाई देता है । बुद्ध के शब्द गाए जाते हैं । भारत का गणित, विज्ञान विद्यालयों में पढ़ाया जाता है। आज, मंगोलिया एक बौद्ध देश है और मुगलों के सच्चे वंशज अपनी बौद्ध विरासत पर गर्व करते हैं।

भारत मे कई लोग है जो खुद को ‘मुगलों के वंशज’ समझते हैं | वो लोग भारतीय तत्त्वों का दृढ़ता से विरोध करके अपनी ‘मोगलाई’ साबित करने मी जुटे रहते हैं । यह लोग, औरंगजेब को, जिसने अपने हिंदू प्रजाजनो पर जिझिया कर लगाया, जिसने अपने ही राज्य में, अपने ही प्रजा के मंदिर नष्ट कर दिये थे, उसे अपना idol मान बैठे है | बाबर द्वारा ध्वस्त किए गए राम जन्मभूमी मंदिर और औरंगजेब द्वारा ध्वस्त किए गए काशी – मथुरा आदि मंदिर, इस को अपनी विरासत मानते है | जो सच्चे मुगल है, वो बुद्ध की शरण मे शांततापूर्ण जीवन बिता रहे है | यह वही लोग है जीन्होने बुद्ध की सिख पर चलते हुये शांतीपूर्ण तरीकेसे कॅम्युनिस्ट राज्य खत्म किया और लोकशाही की स्थापना की | 

और यह भारत के कथित मुगल, राम और बुद्ध की चरण मे रहते हुये भी उन्हे इतनी सदियों से जान न सके | यह दुर्भाग्यपूर्ण है की यह कथित मुगल, साथ मे कई वामपंथी विद्वान भी, अपने आप को दारासुखो के वंशज नही मानते पर खुदको औरंगज़ेब, बाबर और तैमूर के वंशज मानते हैं ।

मूल लेख – दीपाली पाटवदकर

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