पीएम मोदी द्वारा द्रौपदी मुर्मू को बीजेपी समर्थित एनडीए के लिए राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने से ट्विटर पर ईसाई मिशनरी माफिया भड़क गए। वह मिशनरी धर्मांतरण माफिया के खिलाफ एक सर्वश्रेष्ठ हथियार है जो हिंदू आदिवासियों को निशाना बना रहे थे
उन्होंने एक शिक्षिका के रूप में रायरंगपुर के आदिवासी क्षेत्रों में मिशनरी धर्मांतरण माफिया के खिलाफ बड़े पैमाने पर काम किया है एक और बात, यह नवीन पटनायक जी का अंतिम कार्यकाल है, और बीजद की ओर से आज तक कोई नहीं है। बीजेपी के लिए पिच करने का यह सही समय है
अब आप जानते हैं कि मोदी जी ने अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, द्रौपदी मुर्मू को क्यों बनाया, याद रखें कि मोदी जी ने क्या कहा, दीर्घकालिक दृष्टि।
जब आप देखेंगे हिंदुस्तान के तटीय राज्यों से किस प्रकार से ईसाई मिशनरियों ने गरीब और आदिवासी तबक्के के लोगों को खाने के चावल व स्वास्थ्य के नाम पर प्रलोभन देकर धर्मांतरण करवा रहे हैं द्रोपति मुर्मू के राष्ट्रपति उम्मीदवार के नाम पर घोषणा होने के बाद कहीं ना कहीं आदिवासी समाज में एक नई जनचेतना का संचार हुआ है ईसाई मिशनरियों द्वारा हिंदुत्व तथा केंद्र सरकार के खिलाफ हक और अधिकारों के नाम पर भड़काने का यह बहुत बड़ा जवाब मोदी सरकार द्वारा धर्मांतरण के ठेकेदारों को दिया गया है इस निर्णय के बाद आदिवासी समाज को एक बार फिर प्रथम पंक्ति में लाने का तथा आज भी हिंदुत्व के मजबूत स्तंभ होने का इनाम मिला है मौका मिला है जिसे पूरी दुनिया अपनी नजरों से देखेगी।
धर्मांतरण के ठेकेदार 2030 तथा 2040 को लेकर जो लक्ष्य लेकर चल रहे थे हिंदुस्तान की कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत को धर्मांतरण करवाने में कामयाब रहेंगे कहीं ना कहीं मोदी सरकार के इस निर्णय से धर्मांतरण के ठेकेदारों के मंसूबों पर पानी फिरता नजर आ रहा है वहीं दूसरी तरफ पश्चिमी तटीय देशों द्वारा भारी मात्रा में ब्लैक फंडिंग करके हिंदुस्तान की धरती पर धर्मांतरण करवा कर अस्थिरता पैदा करने के प्रयासों को भी अब विराम लगता नजर आ रहा है
एनडीए के इस फैसले के बाद अपने आप को अंतिम पंक्ति में समझने वाला व्यक्ति भी देश के सर्वोच्च तथा प्रथम नागरिक बनने का मादा रखता है इस बात का आत्मविश्वास प्रत्येक व्यक्ति में पैदा हुआ है यही हिंदुस्तान है तथा यही हिंदुस्तान की खूबसूरती है कि जहां सबका साथ – सबका विकास के साथ-साथ सबका विश्वास किस प्रकार से जीता जा सकता है बताने का प्रयास किया गया है सबका विकास के नाम पर मोदी सरकार को केवल मुस्लिमों के बारे में सोचने की प्रवृत्ति को लेकर बदनाम किया जाता रहा है परंतु राष्ट्रपति के उम्मीदवार के लिए द्रोपति मुर्मू का नाम आने के बाद ऐसी बातों को भी दरकिनार करते हुए सबका विश्वास में हिंदुस्तान में रहने वाली तमाम जातियों तत्व समुदायों को समान नजर से देखने का नजरिया एक बार फिर मोदी सरकार ने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है
कट्टर हिंदुत्व की सोच रखने वाली एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रोपति मुर्मू ने धर्मांतरण के खिलाफ खड़े रहकर हिंदुत्व की रक्षा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी एक अति सामान्य परिवार से आने के बावजूद हिंदुत्व को मजबूत करने में द्रोपति मुर्मू का विशेष योगदान रहा है
द्रौपदी मुर्मू के बारे में सबसे खास बात है कि उनकी निर्विवाद राजनीतिक छवि का होना, उनका आदिवासी होना, ये सारी बातें भाजपा का कद ऊंचा करेगी. द्रौपदी मुर्मू के पास राज्यपाल के तौर पर 6 साल से भी ज्यादा के कार्यकाल का अनुभव है. ऐसे में उनकी उम्मीदवारी से देश को कई सांकेतिक संदेश देने का काम कर सकती है भाजपा. देश के जनजातीय समाज के बीच द्रौपदी मुर्मू का नाम बेहद खास जगह रखता है. ऐसे में द्रौपदी मुर्मू के नाम के साथ जनजातीय समाज में भाजपा की पैठ और भी गहरी बन सकती है.
झारखंड की राज्यपाल रहते हुए द्रौपदी मुर्मू ने शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य और जनजातीय मामलों में बेहद संवेदनशीलता का परिचय दिया है. ऐसे कई मौके आए, जब उन्होंने राज्य सरकारों के निर्णयों में हस्तक्षेप किया. पर ये हस्तक्षेप पूरी तरह से संवैधानिक गरिमा का ख्याल रखते हुए पूरी शालीनता के साथ किया. राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपतियों के रिक्त पदों पर जो नियुक्तियां हुईं, वे उनके ही कार्यकाल में हुईं. बता दें कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति होते हैं. राज्यपाल द्रौपदी मुर्म की संवेदनशीलता ही थी कि उन्होंने पदेन कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर लोक अदालत का आयोजन किया था. इस लोक अदालत में विवि शिक्षकों और कर्मचारियों के तकरीबन 5000 मामले निबटाए गए थे. झारखंड में आज विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में केंद्रीयकृत नामांकन प्रक्रिया अपनायी जाती है. इसके लिए द्रौपदी मुर्मू ने ही चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया था.
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